नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के वीवीपीएटी से शत-प्रतिशत मिलान की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की दो जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने वाली मांग भी खारिज कर दी। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यदि उम्मीदवार चाहे तो चुनाव परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के अंदर परिणाम की दोबारा जांच की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर द्वारा की जाएगी।
निर्वाचन आयोग को सुझाव-
कोर्ट में मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी भी सिस्टम पर आंखे बंद कर संदेह करना सही नहीं है। इसलिए हमारे अनुसार सार्थक आलोचना की आवश्यकता है, फिर चाहे वह न्यायपालिका हो या विधायिका। लोकतंत्र का अर्थ सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखना है। विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को और अधिक मजबूत कर सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को VVPAT की गिनती में मशीन की मदद लेने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है।
उम्मीदवार को उठाना होगा जांच का खर्च-
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जांच का पूरा खर्च उम्मीदवार को उठाना होगा। चुनाव परिणाम में गड़बड़ी साबित होने पर उम्मीदवार को सारा खर्च वापस मिल जाएगा। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने निर्वाचन आयोग से भविष्य में वीवीपीएटी स्लिप में बार कोड पर विचार करने को कहा है। बेंच ने इसके साथ ही बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग को खारिज कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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