लोकसभा चुनाव- यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट इन दिनों खूब सुर्खियों में है। सपा के अखिलेश यादव ने गुरुवार को इस सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। इससे पहले सोमवार को सपा ने तेज प्रताप यादव को कन्नौज से अपना प्रत्याशी बनाया था। लेकिन अब सपा के अखिलेश यादव ने खुद इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। कन्नौज लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है।
कन्नौज का सियासी समीकरण-
यूपी की कन्नौज लोकसभा सीट वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट से कांग्रेस नेता और दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित एक बार सांसद रही है। पिछली बार 2019 को छोड़ वर्ष 1998 से 2019 तक लगातार इस सीट पर लगातार सपा का ही कब्जा रहा। वर्ष 1998 में पहली बार सपा से प्रदीप यादव सांसद चुने गए थे। जिसके बाद 1999 मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव जीता। लेकिन बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी।
जिसके बाद अखिलेश यादव ने इस सीट से उपचुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की। अखिलेश यादव ने 2004 में बसपा के ठाकुर राजेश सिंह और 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा के महेश चंद्र वर्मा को मात देकर जीत हासिल की। वर्ष 2014 में इस सीट से अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव ने चुनाव लड़ा। जिसमें उन्होंने भाजपा के सुब्रत पाठक को हरा दिया। लेकिन 2019 में सियासी समीकरण पलट गया और भाजपा के सुब्रत पाठक ने कन्नौज से जीत दर्ज कर डिंपल यादव से हार का बदला ले लिया।
आपको बता दें कि कन्नौज लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख मतदाता है। इस सीट पर मुस्लिम और यादव समीकरण काफी मज़बूत है जो जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कन्नौज में 2.5 लाख मुस्लिम और लगभग इतनी ही संख्या यादव वोटर्स की है। इनके अलावा 2.5 दलित, दस फीसद राजपूत और 15 फीसद ब्राह्मण हैं।
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