नई दिल्ली: दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने ईडी की गिरफ्तारी को वैध ठहराने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसी को लेकर ईडी ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर अरविंद केजरीवाल की याचिका का विरोध किया है।
बता दें कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ED को नोटिस जारी किया था और इस मामले की सुनवाई 29 अप्रैल को होने की तारीख दी थी। जिसके बाद अपने हलफनामे में ईडी ने कहा है कि पूरे घोटाले में बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट किए गए हैं। घोटाले के दौरान केजरीवाल व अन्य द्वारा 170 से अधिक मोबाइल फोन नष्ट किए गए हैं।
साथ ही घोटाले और धन के लेन-देन के महत्वपूर्ण डिजिटल सबूतों को नष्ट कर दिया गया है। सबूतों को नष्ट करने के बाद भी, जांच एजेंसी महत्वपूर्ण सबूतों को पुनर्प्राप्त करने में सक्षम रही है। यह साक्ष्य सीधे तौर पर खुलासा करते हैं कि आय से संबंधित प्रक्रिया और गतिविधियों में याचिकाकर्ता की भूमिका क्या है।
ईडी ने कहा था कि गिरफ्तारी के मामले में केजरीवाल जैसे राजनेता के साथ सामान्य अपराधी से अलग व्यवहार करना मनमानी होगी। साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत निहित समानता के सिद्धांत का उल्लंघन होगा। ईडी ने अपने जवाब में इस बात पर जोर दिया गया कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने का फैसला पर्याप्त सबूतों और कानूनी आधारों पर आधारित था। न कि लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल को उनकी पार्टी के लिए प्रचार करने से रोकने के लिए।
ईडी ने कोर्ट को जवाब देते हुए कहा है कि आरोपी अरविंद केजरीवाल 9 बार तलब किए जाने के बावजूद जांच अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हुए। और वह पूछताछ से बच रहे थे। यहां तक कि धारा 17 के तहत अपना बयान दर्ज करते समय पूछताछ के दौरान तलाशी की तारीख पर भी वह टाल-मटोल कर सवालों के जवाब देने से बच रहे हे थे।
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हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को कोई राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया केजरीवाल की शराब नीति मामले में सक्रिय भूमिका प्रतीत होती है। इसके अलावा, अदालत ने ईडी की जांच पर जोर दिया, जिसमें केजरीवाल की व्यक्तिगत क्षमता और AAP के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में उनकी भूमिका दोनों में शामिल होने का सुझाव दिया गया था।