वाराणसी- यूपी का वाराणसी जनपद मलेरिया उन्मूलन की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है। मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग भी प्रभावी रणनीति व कार्यवाही कर रहा है। इसी का परिणाम है कि जनपद में प्रत्येक वर्ष मलेरिया जांच की संख्या बढ़ी है। वहीं मरीजों की संख्या में काफी कमी आई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में जनपद में मलेरिया के 406 मरीज पाए गए थे। लेकिन पिछले वर्ष सिर्फ 27 मरीज ही पाए गए। जनपद में संचारी व मच्छर जनित रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।
इसी उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. संदीप चौधरी के अनुसार इस बार दिवस की थीम ‘अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना’ रखी गई है। मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण व रोकथाम के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही साथ रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) किट के माध्यम से मलेरिया की जांच कर रही हैं। स्वास्थ्य कैंप के माध्यम से मलेरिया के मरीजो को चिन्हित किया जा रहा है। इसके अलावा हॉट स्पॉट क्षेत्रों में कोंट्रेक्ट ट्रेसिंग पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।
CMO व नोडल अधिकारी डॉ. एसएस कनौजिया ने बताया कि सभी सीएचसी, पीएचसी व आयुष्मान आरोग्य मंदिर के सीएचओ को निर्देशित किया गया है कि समय पर मलेरिया की जांच व पहचान कर मरीजों को निर्धारित समय तक उपचार दिया जाए। जिला मलेरिया अधिकारी (DMO) शरद चंद पाण्डेय ने बताया कि जनपद की आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा मलेरिया से उतने ही अधिक लोग सुरक्षित होंगे। वर्तमान में सभी हॉटस्पॉट में हाउस इंडेक्स एक से कम है जो सामान्य स्थिति में है। लेकिन बारिश के मौसम के दौरान सामान्य ठंड में हाउस इंडेक्स बढ़ने लगता है, क्योंकि इन्हीं मौसम में लार्वा अधिक पनपते हैं।
लार्वा न पनपे, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर कार्यवाई की जा रही है। DMO ने बताया कि मलेरिया का प्रसार मादा एनोफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरे एक सप्ताह का समय लगता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द, रक्त अल्पता, मांस पेशियों में दर्द, अत्यधिक पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। समय से जांच व उपचार मिलने पर रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।
वाराणसी में पिछले 7 वर्षों में मलेरिया के स्थिति की बाते करें तो वर्ष 2017 में 406, वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2020 में 46, वर्ष 2021 में 164, वर्ष 2022 में 78, वर्ष 2023 में 26 और वर्ष 2024 में अब तक सिर्फ एक मलेरिया रोगी पाया गया। इसके अलावा वर्ष 2022 में 1.16 लाख जबकि वर्ष 2023 में 1.67 लाख मलेरिया जांच की गईं। इस वर्ष अब तक 43,503 जांच की गईं।
यह भी पढ़ें:- लखनऊ- रीयल एस्टेट कंपनी तुलसियानी ग्रुप के कई ठिकानों पर ईडी की छापेमारी, निवेशकों से रुपए हड़पने का आरोप