हैदराबाद: तेलंगाना राज्य की हैदराबाद लोकसभा सीट हमेशा से सुर्खियों में रही है। वर्तमान में यहां से एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सांसद हैं। लेकिन, अबकि बार उन्हें भाजपा प्रत्याशी डॉ माधवी लता से कड़ी टक्कर मिल रही है। डॉ माधवी लता की पैठ मुस्लिम महिलाओं में ठीक-ठाक मानी जाती है। यही वजह है कि असदुद्दीन ओवैसी अपना किला बचाने के लिए दिन रात जुटे हुए हैं।
लेकिन, अब हैदराबाद लोकसभा सीट एक बार फिर से चर्चाओं में है। अबकी बार इसकी वजह बने हैं, असदुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी। दरअलस, अब वह भी हैदराबाद सीट से चुनावी मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने नामांकन पर्चा भी दाखिल कर दिया है। जिसके बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या दोनों भाईयों के बीच आपस में नहीं निपट रही है? इसीलिए अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने बड़े भाई असदुद्दीन ओवैसी के सामने चुनावी ताल ठोक दी है!
भाजपा प्रत्याशी माधवी लता ने बढ़ाई चुनौती
अकबरुद्दीन ओवैसी और असदुद्दीन ओवैसी के बारे में बात करें इसके पहले जान लेते हैं कि आखिर भाजपा प्रत्याशी डॉ माधवी लता कौन हैं जिनकी वजह से एआईएमआईएम के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाने वाली हैदराबाद में लड़ाई कांटे की हो गई है। दरअसल,डॉ माधवी लता हैदराबाद के प्रसिद्ध विरिंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन हैं। इसके इलावा उनकी पहचान फायर ब्रांड हिंदू नेता के रूप में होती है। सनातन धर्म को लेकर उनके द्वारा दिए गए भाषण लोगों के बीच काफी लोकप्रिय होते हैं।
इसके अलावा तीन तलाक के खिलाफ उन्होंने बहुत काम किया है। जिससे उनकी पैठ मुस्लिम समाज की महिलाओं में बढ़िया मानी जाती है। यही कारण है कि ओवैसी ब्रदर्स को अब डर सताने लगा है कि कहीं साइलेंट वोटर उनका खेल न बिगाड़ दें। इसीलिए,दोनों भाई दिन रात मेहनत कर रहे हैं।
ओवैसी बंधु को सता रहा सूरत वाला डर
ओवैसी बंधु को यह भी डर सता रहा है कि कहीं सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी की तरह उनका भी नामांकन ना खारिज हो जाए। इसीलिए असदुद्दीन ओवैसी के साथ- साथ उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ने भी नामांकन पत्र दाखिल किया है। हालांकि, वह चुनाव नहीं लडेंगे। लेकिन, यदि किसी भी स्थिति में असदुद्दीन ओवैसी का नामांकन खारिज हो जाता है, तो वह लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। यही कारण है एआईएमआईएम अपना हैदराबाद का किला बचाने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ मैदान में उतरी है।
बता दें कि सूरत लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी का तकनीकी खामियों के चलते नामांकन खारिज हो गया था। उनके तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर के सत्यापन में कुछ गड़बड़ी थी। जिसके बाद भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल निर्विरोध सांसद चुने गए थे। अब यही डर असदुद्दीन ओवैसी को सता रहा है। इसीलिए उन्होंने अपने भाई अकबरुद्दीन ओवैसी को वैकल्पिक प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करवाया है।
2 बार BJP प्रत्याशी दे चुके हैं कड़ी टक्कर
हैदराबाद लोकसभा सीट वैसे तो पिछले करीब 40 वर्षों से औवैसी परिवार का गढ़ रही है। लेकिन, यहां से 2024 लोकसभा चुनाव से पहसे 2 बार और बीजेपी प्रत्याशियों ने असदुद्दीन ओवैसी और उनके पिता को कड़ी चुनौती दी है। इसके पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में ओवैसी को भाजपा प्रत्याशी सुभाष चंदरजी ने कड़ी टक्कर दी थी। तब यहां बीजेपी को 28.25 फीसदी वोट और असदुद्दीन ओवैसी को 37.39 फीसद वोट प्राप्त हुए थे। इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी 1 लाख वोटों से विजयी हुए थे।
वहीं, 1999 में भी बीजेपी प्रत्याशी ने असदुद्दीन ओवैसी के पिता सलाउद्दीन औवेसी को कड़ी टक्कर दी। इस चुनाव में सलाउद्दीन सिर्फ 60 हजार वोटों से जीते थे। वहीं, अबकी बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने महिला कार्ड खेला है। भाजपा ने जब से डॉ माधवी लता को हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। तब से इस सीट पर लड़ाई कांटे की मानी जा रही है।