लद्दाख: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन पहुंचे। यहां उन्होंने जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। सियाचिन पहुंचने पर सबसे पहले उन्होंने बेस कैंप में युद्ध स्मारक पर देश की सेवा करते हुए बलिदान देने वाले जवानों को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर के कुमार पोस्ट पर तैनात सशस्त्र बल के जवानों के साथ बातचीत की।
यह भी पढ़ें: गाज़ियाबाद: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत ड्रोन शक्ति-2023 का किया उद्घाटन, एयरफोर्स को सौंपा जाएगा C-295 एयरक्राफ्ट
इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘हम सब जानते हैं कि जब भी हमारे यहां कोई शुभ अवसर आता है, तो उसकी शुरुआत हम अपने आराध्य की पूजा-अर्चना के साथ करते हैं। हमारे यहां पहले ईश्नर को भोग लगाने का विधान है। इसके बाद घर में अगर को श्रेष्ठ व्यक्ति आया हो, या कोई पुरोहित आया हो ईश्वर को भोग लगाने के बाद हम उसे भोजन कराते हैं। इन सब के बाद ही घर को लोग भोजन करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ‘मेरे अनुसार दीपावली का पहला दीया, होली का पहला रंग भारत के रक्षकों के नाम होना चाहिए। हमारे सैनिकों के साथ होना चाहिए। पर्व-त्योहार पहले सियाचिन की चोटियों पर मनाए जाने चाहिए। राजस्थान के तपते रेगिस्तान में मनाए जाने चाहिए, हिन्द महासागर की गहराई में स्थित पनडुब्बी में जवानों के साथ मनाए जाने चाहिए।’
दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है सियाचिन
सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। यहां का तापमान शून्य से लेकर माइनस 30 से 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। सियाचिन पर कब्जा करने के लिए भारत ने 13 अप्रैल 1984 को ऑपरेशन मेघदूत प्रारंभ किया था। जिसके बाद भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा किया था।