सोशल मीडिया पर भगवान शिव पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी ओवैस खान को राहत देने से मना कर दिया है। बीते दिन हाईकोर्ट ने कहा कि याची की तरफ से जानबूझकर अपमान किया गया है, लिहाजा आपराधिक मामले को रद्द नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी को दूसरों की भावनाओं और विश्वासों के सम्मान से परे नहीं किया जा सकता है।
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हाईकोर्ट ने ये कहा-
इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने ओवैस खान को राहत देने के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, विभिन्न समुदायों की धार्मिक मान्यताओं के प्रति सम्मान बनाए रखना सबका कर्तव्य है। इस तरह के आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतें नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को अधिक महत्व देती हैं। धार्मिक विश्वास सभी नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति दूसरे धर्म को अपमानित करता है, तो ये धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता का गंभीर अपमान है।
दरअसल आरोपी ओवैस खान ने सोशल मीडिया पर हिंदू समाज और भगवान शिव के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। ओवैस खान पर आरोप है कि उसने हिंदू देवता पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इस मामले में उसके खिलाफ IPC की धारा 153-ए, 295-ए और IT ACT की धारा 6 के तहत मामला दर्ज किया गया था।