Prayagraj News: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट से पूर्व मंत्री आजम खान को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें रामपुर में मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की भूमि के पट्टे को रद्द करके जमीन जब्त करने के यूपी सरकार के कदम को यूनिवर्सिटी ट्रस्ट ने चुनौती दी थी।
बता दें उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान के नेतृत्व वाले मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे की शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए 3.24 एकड़ भूमि का पट्टा रद्द कर दिया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि मूल रूप से ये भूमि यूनिवर्सिटी के एक शोध संस्थान के लिए आवंटित भूमि थी पर इसपर लीज के माध्यम से एक निजी स्कूल चल रहा था।
नियमानुसार लीज रद्द होने के बाद जमीन का कब्जा स्वत: सरकार के पास चला जाता है। इसी फैसले पर रोक लगाने को लेकर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और क्षितिज शैलेन्द्र की बेंच ने दिसंबर 2023 में जौहर विश्वविद्यालय ट्रस्ट की याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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फैसले को सुरक्षित रखते हुए, पीठ ने यह भी निर्देश था कि राज्य सरकार शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लास्ट तक रामपुर पब्लिक स्कूल के बच्चों के लिए हेल्पलाइन चालू रखेगी।
मामले में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने इस आधार पर बिना कारण बताओ नोटिस के पट्टा रद्द करने का बचाव किया था कि जनहित सर्वोपरि है।
तर्क दिया गया कि उच्च शिक्षा (अनुसंधान संस्थान) के उद्देश्य से अधिग्रहित की गई भूमि का उपयोग रामपुर पब्लिक स्कूल चलाने के लिए किया जा रहा था।
तत्कालीन कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान द्वारा सरकारी जमीन के खुलेआम दुरुपयोग के आधार पर पट्टा रद्द करने का बचाव करते हुए महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया।
जिसमें कहा गया यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान कैबिनेट मंत्री रहते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री का पद संभाल रहे थे। उन्होंने अध्यक्ष की हैसियत से ट्रस्ट का नेतृत्व किया, जो हितों का टकराव था।
ट्रस्ट की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता अमित सक्सेना ने यूपी सरकार द्वारा लीज डीड को रद्द करने और संपत्ति को सील करने में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
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