नई दिल्ली: भारतीय नव वर्ष 1 जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होता है। अबकि बार देश भर में 2081वां विक्रमी संवत मनाया जा रहा है। सनातन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह दिन बहुत ही विशेष है। आज के इस आर्टिकल हम इसी विषय पर आप को जानकारी देने वाले हैं। अगर आप सनातन धर्म को मानते हैं और अपने धर्म के वैज्ञानिक और पौराणिक महत्व को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
अंग्रेजी नया साल जहां 1 जनवरी से प्रारंभ होता है, वहीं हमारा भारतीय नया साल चैत्र माह की प्रतिपदा स प्रारंभ होता है। भारतीय नव वर्ष की गणना विक्रम संवत के अनुसार की जाती है। इस वर्ष विक्रम संवत 2081 है। इस साल हमारा नया साल 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है। साथ ही हर वर्ष की भांति इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ हो रही है।
हमारा नया साल पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। जब हमारा भारतीय नया साल प्रारंभ होता है तो धरती से लेकर आकाश तक, चारों ओर सुगंध फैल रही होती है। प्रकृति की सुंदर छटा चारों ओर देखने को मिलती हैं। मन उत्सुकता होता है। किसानों के खतों से फलस घर आ रही होती है। सभी वैभव संपन्नता से भरे होते हैं।
मान्यता है कि नवसंवत्सर के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का काम प्रारंभ किया था। इसी दिन सतयुग का आरंभ हुआ था। नव नवसंवत्सर को सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान राम ने चैत्र प्रतिपदा के दिन ही बालि का वध करके विजय पताका फहराई थी।
महाराजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की परंपरा शुरू की। इतिहासकारों के अनुसार, भारत में सभी हिंदुओं द्वारा उपयोग किया जाने वाला पारंपरिक कैलेंडर, विक्रम संवत, अब लोकप्रिय हो चुका है। हिंदू नया साल अग्रजों के कैलेंडर से 58 वर्ष आगे निर्धारित किया गया है। 58 ईसा पूर्व महाराजा विक्रमादित्य ने खगोलशात्रियों की मदद से विक्रमी संवत प्रारंभ किया। जो आज हिंदू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
देश भर में भारतीय नव वर्ष के अलग-अलग रूम में मनाया जाता है। महाराष्ट्र और गोवा गुड़ी पड़वा पर्व के रूप में मनाया जाता है। गुड़ी का अर्थ होता है ‘ध्वज’ और इसे पड़वा के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन, महिलाएं घर पर ध्वज लगाती हैं और द्वार को रंगोली से सजाती हैं। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना में उगादी के रूप में नववर्ष का उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर घर में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं और भगवान को उनका भोग लगाया जाता है। कश्मीर में सिंधी समुदाय के लोग भारतीय नव वर्ष को चेटीचंड महोत्सव के रूप में मनाते हैं।