Prayagraj News: प्रत्येक राष्ट्र जो अपनी उन्नति चाहता है। उसे अपनी संस्कृति और इतिहास को कभी भूलना नहीं चाहिए। भूतकालीन घटनाएं व कृतियां ही भविष्यकाल के लिए पथ प्रदर्शक बनती हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र सेविका समिति भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं को पल्लवित एवं पोषित करने का निरंतर कार्य कर रही है।
राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत प्रचार प्रमुख रिचा नारायण ने जानकारी देते हुए बताया कि देश भर में अपने विभिन्न शाखाओं के माध्यम से भारतीय उत्सव एवं सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने का कार्य समिति की सेविकाओं द्वारा किया जा रहा है।
इसी क्रम में मंगलवार को प्रयागराज विभाग द्वारा संगम नोज, विवेकानंद नगर झूंसी, अरैल घाट आदि प्रमुख स्थानों पर भारतीय नव वर्ष से सम्बंधित अनेक कार्यक्रमों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए गए।
रिचा नारायण ने आगे बताया कि समिति की सेविकाओं ने वर्ष प्रतिपदा का कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया। कार्यक्रम में प्रांत बौद्धिक प्रमुख वंदना, प्रांत सम्पर्क प्रमुख देवयानी, प्रांत प्रचार प्रमुख रिचा नारायण, जिला सहकार्यवाहिका रीना, सुलोचना, सोनी, रंजना, प्रगति, जिला कार्यवाहिका मंजू राव, संगीता आदि उपस्थित रहीं।
हिंदू नववर्ष की पौराणिक मान्यता-
आपको बता दें, पौराणिक मान्यता के अनुसार नवसंवत्सर के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना का काम प्रारंभ किया था। इसी दिन सतयुग का आरंभ हुआ था। नव नवसंवत्सर को सृष्टि का प्रथम दिन या युगादि तिथि भी कहते हैं। पुराणों के अनुसार, भगवान राम ने चैत्र प्रतिपदा के दिन ही बालि का वध करके विजय पताका फहराई थी।
महाराजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की परंपरा शुरू की। इतिहासकारों के अनुसार, भारत में सभी हिंदुओं द्वारा उपयोग किया जाने वाला पारंपरिक कैलेंडर, विक्रम संवत, अब लोकप्रिय हो चुका है। हिंदू नया साल अग्रजों के कैलेंडर से 58 वर्ष आगे निर्धारित किया गया है। 58 ईसा पूर्व महाराजा विक्रमादित्य ने खगोलशात्रियों की मदद से विक्रमी संवत प्रारंभ किया। जो आज हिंदू नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है।
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