काठमांडू: नेपाल में एक फिर से हिंदू राष्ट्र की मांग तेज हो गई है। लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों की मांग है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बना कर राजशाही लागू की जाए। विरोध का स्तर इतना बढ़ चुका है कि प्रशासनिक व्यवस्थाएं फेल हो रही हैं। हिंदू राष्ट्र बनाने का आंदोलन धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। अब हिंदू राष्ट्र के समर्थक प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों से टक्कर लेने में भी नहीं कतरा रहे हैं।
कुछ ऐसा ही बुधवार को नेपाल कि राजधानी काठमांडू में देखने को मिला। यहां हिंदू राष्ट्र समर्थित प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हो गई। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के रवैया से नाराज होकर बैरिकेड्स तोड़ डाले और प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गए।
जिसके बाद लोगों को शांत करने के लिए पुलिस को लाठी और आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा। बता दें कि प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के द्वारा आयोजित किया गया था। आंदोलन का नेतृत्व पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र लिंगदेन कर रहे थे। इस प्रदर्शन में नेपाल के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। लोगों का हुजूम इतना था कि जिसे देख कर नेपाल की सत्ता पर आसीन लोगों के पसीन छूट गए। प्रदर्शन के दौरान लोग अपने हाथों में शंख लेकर हिंदू राष्ट्र की मांग करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। इस दौरान नेपाल की महिलाएं और बच्चे भी बड़ी संख्या में नजर आए।
बता दें कि साल 2008 में नेपाल में राजशाही को खत्म कर लोकतंत्र लागू किया गया। इसी के साथ सदियों से हिंदू राष्ट्र के साथ जुड़ी नेपाल की पहचान भी खत्म हो गई। नेपाल में 2015 में संविधान सभा द्वारा बनाए गए संविधान को लागू किया गया। लेकिन, 2015 से आज 2024 के बीच नेपाल में राजनैतिक अस्थिरता ही रही।
भारत और नेपाल दोनों देशों के संबंध जिसे रोटी और बेटी के तौर पर देखा जाता है। उन संबंधों को भी वहां के कुछ नेताओं ने खत्म करने का प्रयास किया। भारत के विरोध में वहां के राजनेताओं ने बयानबाजी की, हिंदी भाषा पर बैन लगाने की बात कही गई। 2020 में नेपाल की सरकार ने भारत के कई हिस्सों को अपने देश के नक्शे में दर्शाया। जिससे दोनों देशों के बीच दूरियां पैदा करने की कोशिश की गई। हालांकि, यह सब भारत और नेपाल के रिश्तों को खराब करने की चाल थी। लेकिन, नेपाल के लोगों को यह ठीक नहीं लगा।
नेपाल के लोगों के सदियों से भारत से अच्छे संबंध रहे हैं। दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यता एक है। लेकिन वहां के नेताओं की भारत विरोधी बयानबाजी से आक्रोश देखा गया। आज नेपाल में फिर से राजतंत्र लागू कर हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग उठ रही है। तो इसके जिम्मेदार वहां के नेता ही हैं। क्योंकि उनकी भारत विरोधी बातें वहां को लोग स्वीकार नहीं कर पाए।
इसके अलावा जानकारों का यह भी मानना है कि 2021 की जनगणना के अनुसार नेपाल में हिंदुओं की जनसंख्या 81 प्रतिशत से भी अधिक है। दूसरे नंबर पर बौद्ध धर्म मानने वाले लोग हैं, जिनकी संख्या 8 प्रतिशत के आसपास है। तीसरे नंबर पर मुस्लिम हैं जिनकी आबादी 5 प्रतिशत है।
यह भी पढ़ें: भारत की विदेश नीति का असर, अफगान की तालिबान सरकार हिंदू और सिखों को सौंपेगी उनकी जमीनें
नेपाल में पिछले 10 वर्षों में हिंदुओं की संख्या में 0.11 प्रतिशत वहीं,बौद्धों की संख्या में 0.79 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं, मुस्लिमों की आबादी तेजी के साथ बढी है। नेपाल में एक दशक पहले मुस्लिम करीब 4 फीसदी थे, वहीं 2021 में उनकी संख्या बढ़कर 5 प्रतिशत से अधिक हो गई है। मतलब साफ है जहां हिंदुओं और बौद्धों की आबादी घट रही है। वहीं मुस्लिमों की आबादी नेपाल में तेजी के साथ बढ़ रही है। जिसको लेकर वहां के बहुसंख्यक चिंतित हैं।