महोबा में तैनात होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के खिलाफ पीसीएस ज्योति मौर्या प्रकरण में सौंपी गई जांच रिपोर्ट का शासन स्तर पर परीक्षण हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक परीक्षण में खामियों से उपजी दुविधा की वजह से कमांडेंट पर कार्रवाई को लेकर निर्णय नहीं हो पा रहा है। हालांकि इस प्रकरण से विभाग की छवि धूमिल होने के आधार पर कमांडेंट पर कार्रवाई की जा सकती है।
डीआईजी होमगार्ड प्रयागराज रेंज संतोष कुमार ने होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के खिलाफ जांच कर उन्हें निलंबित करने और विभागीय कार्रवाई शुरू करने का मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। उनकी रिपोर्ट के प्रारंभिक परीक्षण में सामने आया है कि पीसीएस ज्योति मौर्या के पति आलोक मौर्या को जान से मारने की साजिश रचने का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण का उल्लेख जांच रिपोर्ट में नहीं दिया गया है।
जिन सुबूतों का जिक्र किया गया है उनकी फॉरेंसिक जांच कराने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है। इस मामले में आलोक मौर्या की तरफ से मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इसी तरह अमरोहा में तैनाती के दौरान महिला होमगार्ड के साथ छेड़खानी की शिकायत के मामले का निस्तारण पहले ही हो चुका है। महिला होमगार्ड को दोबारा बहाल किया जा चुका है।
मनीष दुबे से दो वर्ष पहले विवाह करने वाली लखनऊ की युवती ने डीआईजी को दिए अपने बयान में दहेज मांगने का आरोप लगाया था। हालांकि अधिकारियों के मुताबिक विवाह के एक माह बाद ही अदालत में तलाक का मुकदमा दायर कर दिया गया था। लिहाजा, दहेज मांगने के आरोप का अब संज्ञान लेना विधिक रूप से उचित नहीं है।