यूपी पुलिस प्रदेश में सुरक्षा और जनता के बीच अपनी बेहतर छवि को लेकर बड़े दावे करती रही है। लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। लखनऊ के बाराबिरवा में सिपाही ओला टैक्सी चालक को पीट रहे थे। उसी जगह मौजूद विनीत ने इसका विरोध कर दिया, तो सिपाहियों ने विनीत को ही चौराहे पर पीटना शुरू कर दिया। उसके बाद उसे ई-रिक्शे पर लादकर रेलवे लाइन के किनारे ले गए, जहां लाठियों से विनीत की जमकर पिटाई की और मोबाइल तोड़ दिया।
पुलिस गांजा और स्मैक की पुड़िया की बरामदगी दिखाकर निर्दोष विनीत को जेल भेजने के लिए थाने लेकर आ गई। इसी बीच मौका पाकर विनीत ने प्रशिक्षु आइपीएस मित्र को पूरी घटना बताई। प्रशिक्षु आइपीएस ने एसीपी काकोरी अनूप कुमार सिंह को फोन किया। जिसके बाद मानक नगर थाने के इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र सरोज के कहने पर सिपाही अनमोल और उसके दो साथियों ने विनीत से माफी मांग कर चाय ऑफर की।
एक फोन के बाद पूरा मामला बदल गया था, विनीत के मुताबिक इंस्पेक्टर ने सिपाहियों से कहा कि साहब को दिल्ली जाने वाली एसी बस में बैठा दो। बाद में सिपाहियों ने विनीत को दिल्ली की बस में बैठा दिया। विनीत कुछ दूर जाकर बस से उतर गया। उसने अपनी बहन को फोन करके बुलाया और अस्पताल पहुंचा। विनीत ने मंगलवार को तबीयत ठीक होने पर एसीपी काकोरी अनूप कुमार सिंह के दफ्तर पहुंच कर पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रार्थनापत्र देकर कार्रवाई की मांग की है।