उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लोगों को महंगी बिजली का झटका देने की तैयारी में है। बिजली महंगी होने से जनता में नाराजगी बढ़ सकती है उससे बचने के लिए सरकार चाहेगी कि दरें लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही बढ़े। कारपोरेशन प्रबंधन ने आयोग के मौजूदा टैरिफ आर्डर के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिला किया है। ट्रिब्यूनल से बिजली कंपनियों के जीतने पर तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का झटका लगना तय है।
गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा पावर कारपोरेशन प्रबंधन एक बार फिर प्रदेशवासियों को महंगी बिजली का झटका देने की तैयारी में जुट गया है। प्रबंधन की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पिछले चार वर्ष के दौरान बिजली की दर बढ़ाने के प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं दिखाई गई। ऐसे में कारपोरेशन प्रबंधन ने आयोग के मौजूदा टैरिफ आर्डर के खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिला किया है। ट्रिब्यूनल से बिजली कंपनियों के जीतने पर तीन करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को इस वित्तीय वर्ष में महंगी बिजली का झटका लग सकता है।
इसके साथ ही प्रबंधन, अगले वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बिजली दर संबंधी प्रस्ताव को भी 15 अगस्त तक ही तैयार करने में जुट गया है जबकि नियमानुसार 30 नवंबर तक का समय है। दरअसल, चालू वित्तीय वर्ष में बिजली की दरों को यथावत रखने का निर्णय 25 मई को आयोग ने सुनाया था जबकि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने 18 से 23 प्रतिशत बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए प्रबंधन ने कंपनियों से इस वर्ष 30 जून तक के आंकडों के आधार पर ही वार्षिक राजस्व आवश्यकता और बिजली दर का प्रस्ताव 15 अगस्त तक ही तैयार करने के निर्देश दिए हैं।