हम भारतीय, विदेशी
वैज्ञानिकों, इतिहासकारों, साहित्यकारों से बड़ा प्रभावित रहते हैं लेकिन अपने
पुरोधाओं को भूल जाते हैं। आज इस कड़ी में हम बात करेंगे भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास
रामानुजन की। जिन्होंने एक गणितीय अविष्कार करके विश्व भर के गणितज्ञों को आश्चर्य
में डाल दिया था।
श्रीनिवास रामानुजन से
पहले सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या नहीं
है जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। लेकिन रामानुजन ने
इन अंकों के साथ माथापच्ची करके इस मिथक को भी तोड़ दिया। उन्होंने एक ऐसी संख्या
खोजी थी जिसे 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है। यानी भाग
दिया जा सकता है। यह संख्या है 2520
अब आइए इस सत्य की
प्रामाणिकता की जांच करें।
2520 ÷ 1 = 2520
2520 ÷ 2 = 1260
2520 ÷ 3 = 840
2520 ÷ 4 = 630
2520 ÷ 5 = 504
2520 ÷ 6 = 420
2520 ÷ 7 = 360
2520 ÷ 8 = 315
2520 ÷ 9 = 280
2520 ÷ 10 = 252
चलिए ये तो हुई एक बात! अब देखिए कि संख्या 2520 वास्तव में गुणनफल है (7X30X12) का। हिन्दू संवत्सर के अनुसार वर्ष में 12 मास, 1 मास में
30 दिन और एक सप्ताह में 7 दिन। तो देखिए कि वैदिक गणित हो या वैदिक विज्ञान सभी
हमारी सनातन जीवन शैली का ही एक अंग हैं।
इंग्लैंड प्रवास के
दौरान श्रीनिवास रामानुजन को क्षय रोग ने घेर लिया वो भारत लौट आए लेकिन मृत्यु के
क्रूर हाथों से बच न सके। वर्ष 1920 में मात्र 32 वर्ष की अवस्था में रामानुजन का
निधन हो गया। लेकिन इतने कम समय में उन्होंने स्वयं जितनी ख्याति अर्जित की एवं
देश को गौरवान्वित किया वो अनुकरणीय है।
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