शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के कमांडर और कश्मीर में आतंक बरपने वाले आतंकी यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी पर नाराजगी जताई। साथ ही कहा कि ‘जब कोई आदेश पारित नहीं किया गया तो उन्हें यहां क्यों लाया गया है। व्यक्तिगत रूप से यासीन मालिक को कोर्ट में देखकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेशी पर भी चिंता जताई। बात दें तिहाड़ जेल के अधिकारियों की ओर से कड़ी सुरक्षा के बीच मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाया गया था। सुप्रीम कोर्ट जम्मू की कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
बात दें आतंकी यासीन मलिक पर 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद यासीन मलिक तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
यासीन मलिक हाई रिस्क वाला कैदी
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि ‘जस्टिस दत्ता इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते.’ सुनवाई के दौरान मलिक अदालत में मौजूद था। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि शीर्ष अदालत द्वारा ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया था कि यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश किया जाना चाहिए, सुरक्षा का एक बड़ा मुद्दा है, और वह हाई रिस्क वाला कैदी है और उसे जेल से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। इस संबंध में एक आदेश पारित किया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच को आश्वासन दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक कदम उठाए जाएंगे कि भविष्य में उन्हें इस तरह जेल से बाहर नहीं लाया जाए।
अब चार हफ्ते बाद होगी सुनवाई
जस्टिस सूर्यकांत ने मामले को चार हफ्ते बाद सूचीबद्ध करते हुए कहा कि इसकी सुनवाई किसी अन्य पीठ को करने दें, जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता उस पीठ के सदस्य नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में जम्मू की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी।