वाराणसी में भारतीय
पुरातत्व सर्वेक्षण यानि ASI ने ज्ञानवापी परिसर का
सर्वे करना शुरू कर दिया है। ASI टीम सील किए गए वजूस्थल को छोड़कर
पूरे परिसर का सर्वे कर रही है। शुरुआत के दो घंटे में टीम ने फीता लेकर परिसर को
नापा। 4 स्टैंड कैमरे परिसर के
चारों कोने पर लगाए गए हैं। परिसर को 4 हिस्सों में बांट कर ASI
की 4 टीमें अलग-अलग सर्वे कर रहीं हैं।
वजूस्थल को छोड़कर परिसर के हर पत्थर और ईंट की हाइट नापी गई। नींव के पास से
मिट्टी का सैंपल लिया गया। चारों ओर की दीवारों की फोटो-वीडियोग्राफी की गई।
सीढ़ियों पर लगे पत्थर के सैंपल लिए गए। ज्ञानवापी के सभी कमरों और बरामदे की
फोटो-वीडियो ग्राफी की जा रही है।
बता दें कि 30 सदस्यीय ASI टीम सोमवार को सुबह 6.30
बजे ज्ञानवापी पहुंच गई। करीब 7 बजे सर्वे का
काम शुरू हुआ। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे के बहिष्कार का ऐलान किया। सर्वे और सावन के
सोमवार को देखते हुए वाराणसी को हाईअलर्ट पर रखा गया है। परिसर के आसपास 2000
से भी ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं।
रविवार की रात को दिल्ली, पटना और आगरा से वाराणसी पहुंची ASI
की टीम ने डीएम और पुलिस कमिश्नर के साथ बैठक की। इसके बाद सोमवार
सुबह से सर्वे पर सहमति बनी। प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों और उनके
वकीलों को बुलाया। हिंदू पक्ष ने सर्वे में सहयोग की बात कही। हिंदू पक्ष के लोग
सर्वे टीम के साथ सुबह ज्ञानवापी के अंदर गए हैं। वहीं मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन
इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम
कोर्ट में सुनवाई का हवाला दिया। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद और रईस अहमद ने
कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे। हमने डीएम को मना कर दिया था कि
हम सर्वे में शामिल नहीं होंगे।”
वाराणसी कोर्ट में वकील विष्णुशंकर जैन ने सुनवाई
के दौरान दलील दी कि ज्ञानवापी की 14 से 16 मई
के बीच हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी
आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था। उसमें सींक
डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति
के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया। ज्ञानवापी में कथित फव्वारे
में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में
स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे
चिह्न मिले। मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को
फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें
कोई पाइप घुसाने की जगह है।