लखनऊ: सभी राजनैतिक दलों की तरह कांग्रेस ने भी 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं, समस्याएं कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहीं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रत्याशियों की बैठक बुलाई थी लेकिन बहुत से नेता उस बैठक में नहीं पहुंचे इसके बाद खाबरी ने रणनीति बनाने के लिए दूसरी बैठक भी बुलाई लेकिन 100 से ज़्यादा सदस्य बैठक में नहीं पहुंचे। अब सवाल उठ रहा है कि पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले ये सभी नेता बैठक में आ क्यों नहीं रहे। कयास ये लगाए जा रहे हैं कि नेताओं को कांग्रेस पार्टी में भविष्य नज़र नहीं आ रहा, लिहाज़ा वो अपना पॉलिटिकल करियर दांव पर नहीं लगाना चाहते। पिछले साल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने अकेले दम पर चुनाव लड़ा था और 399 प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा था जिसमें मात्र दो सदस्य विधानसभा पहुंचे थे। ये हाल के कुछ वर्षों में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन था।
प्रियंका गांधी ने सम्भाली थी विधानसभा चुनाव की कमान: पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को नेतृत्व सौंपा था और इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन हाल के कुछ वर्षों में सबसे लचर साबित हुआ था। 399 प्रत्याशियों में से कांग्रेस के सिर्फ 2 प्रत्याशी विधानसभा तक पहुंचे थे।
“लड़की हूं लड़ सकती हूं” दिया था नारा: प्रियंका गांधी ने सबसे पहला प्रयोग ये किया कि 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए लेकिन उनमें से आराधना मिश्रा को छोड़ कर सभी चुनाव हार गई थीं। ये भी जान लीजिए कि जीतने वाली एकमात्र महिला आराधना मिश्रा, पुराने कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की बेटी हैं, जो कि प्रतापगढ़ के रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इनके अलावा महाराजगंज की फरेंदा सीट से वीरेन्द्र चौधरी ने जीत हासिल की। बचे हुए अधिकांश प्रत्याशी अपनी ज़मानत भी नहीं बचा सके। बहरहाल निकट भविष्य में कांग्रेस का “भविष्य” बेहतर होता नहीं दिखाई देता है।