उत्तर प्रदेश के आवास-विकास विभाग में कई इंजीनियर वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेने के बाद भी वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे थे। इस मामले में आवास-विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव ने ऐसे इंजिनियरों का रिकॉर्ड निकाल कर वसूली के आदेश दिए हैं। एक अनुमान के अनुसार ठगी गई रकम 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की है।
आवास-विकास विभाग के सूत्रों ने बताया कि यह पता लगाने के लिए आंतरिक जांच चल रही है कि रिकॉर्ड में गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार था? दरअसल, साल 2009 में विभाग ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें इंजीनियरों को पूर्ण लाभ के साथ 58 साल की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने या 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु तक जारी रखने का विकल्प दिया गया था, तब प्रदेश में कई इंजीनियरों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना है। सरकार ने बकाया राशि की गणना कर उनके सेवानिवृत्त होने के बाद देय राशि उन्हें हस्तांतरित कर दी थी। हालांकि, कुछ इंजीनियरों को वेतन, भत्ते के साथ वेतन वृद्धि भी मिलती रही। इस महीने की शुरुआत में ऐसे ही सेवानिवृत्त अधिकारी की फाइलों की जांच करते समय विभाग के लेखा अनुभाग में तैनात एक कर्मचारी को गड़बड़ी का पता चला। इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। जानकारी सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया।