केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोई बोर्ड किसी समुदाय को धर्म से बाहर नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि देश में सभी नागरिकों को समान धार्मिक अधिकार हैं। कोई वक़्फ़ बोर्ड संसद की गरिमा के विपरीत काम नहीं कर सकता। आपको बता दें कि आंध्रप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर मुस्लिमों के अहमदिया सम्प्रदाय को गैर इस्लामिक बताया था, जिसका कई मुस्लिम संगठनों ने समर्थन भी किया था।
पाकिस्तान में भी अहमदियों पर अत्याचार: पड़ोसी देश पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी लगातार अहमदिया समुदाय पर अत्याचार किए जा रहे हैं। आपको बतादें कि अहमदिया मुसलमान मिर्जा ग़ुलाम अहमद को मानते हैं। इसी समुदाय को ‘अहमदिया’ कहा जाता है और इस समुदाय के लोगों को अहमदिया मुसलमान। मिर्जा गुलाम अहमद ने वर्ष 1889 में इस्लाम के अंदर ही एक ‘पुनरुत्थान’ आंदोलन की शुरुआत की थी। इसी के तहत उन्होंने अहमदिया समुदाय की स्थापना की थी।मिर्जा गुलाम का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में 13 फरवरी 1835 को हुआ था। समुदाय में सबसे बड़ा स्थान खलीफा का होता है। हजरत मौलवी नुरुद्दीन पहले खलीफा थे। अब तक संप्रदाय में कुल पांच खलीफा हुए हैं, फिलहाल मिर्जा मसरूर अहमद संप्रदाय के खलीफा हैं और वो लंदन में रहते हैं।