लखनऊ शहर के मुख्य बाज़ारों में ट्रैफिक जाम की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। शहर के पुराने बाज़ारों जैसे अमीनाबाद, गणेशगंज, मौलवीगंज, रकाबगंज, पाण्डेयगंज, रानीगंज, नाका, यहिया गंज, राजा बाज़ार, डालीगंज, चौक, नक्खास अकबरी गेट आदि वो इलाके हैं जहां शहर के मुख्य थोक बाज़ार हैंऔर यहां जनसंख्या घनत्व भी बहुत ज्यादा है। मुख्य मार्ग बहुत ज्यादा संकरे न होने के बाद भी यहां हमेशा जाम की स्थिति रहती है। कारण है कि व्यापारी आधी से अधिक सड़क घेर कर अपने धंधे चलाते हैं। कई बार प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया व्यापारियों के साथ बैठकें भी हुईं लेकिन इच्छाशक्ति की कमी के कारण स्थिति जस की तस बनी रही। हालत ये है कि दो किलोमीटर की यात्रा 40 मिनट से 1 घंटे तक में की जा रही है। ई-रिक्शा और दोपहिया वाहन चालक दाएं बाएं घुमाकर जल्दी निकलने के प्रयास में जाम को और बढ़ा देते हैं, जबकि ऐसी स्थिति में ट्रैफिक पुलिस कभी कभार ही मुस्तैद दिखाई देती है।
अब यही स्थिति नए शहर के बाज़ारों में भी बन रही है। खास तौर पर अलीगंज और विकास नगर के बीच पड़ने वाले डंडइया बाज़ार में भी सवेरे शाम ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। डंडइया होकर सीधे जाने वाले मार्ग को वनवे कर दिया गया है जिससे चार पहिया वाहनों को विकास नगर जाने के लिए 2 किलोमीटर की जगह 4 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। लेकिन दुकानदारों का अतिक्रमण पूर्ववत ही बना हुआ है। साथ ही ई-रिक्शा चालक हालात को और भी खराब कर देते हैं। हालांकि प्रशासन ने दो पुलिसकर्मी नियमित रूप से तैनात किए हैं लेकिन उनके होने से स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ। कुल मिलाकर प्रशासन मज़बूत इच्छाशक्ति के साथ अतिक्रमण हटाए और ई-रिक्शा चालकों के लिए एक नियमावली जारी करे तो जाम पर लगाम लगाई जा सकती है।