World Economic Forum (WEF) की रिपोर्ट के अनुसार अगले छह महीने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे नहीं होंगे। इसका अर्थ यह भी निकाला जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका बनी रहेगी। डब्लू.ई.एफ. के मुताबिक अर्थव्यवस्था में सुस्ती का मुख्य कारण राजनैतिक तनाव, जिओ पॉलिटिकल और जियो पॉलिटिकल संबंधों में उतार चढ़ाव रहेगा।
W.E.F. की सर्वे रिपोर्ट चीफ रिस्क ऑफिसर्स की से बातचीत पर आधारित है। सर्वे में शामिल 85 प्रतिशत से अधिक अधिकारियों का मानना है कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अस्थिरता रहेगी जिससे कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ेंगी, ब्याज दरें भी बढ़ेंगी और सप्लाई चेन भी बाधित हो सकती है। महंगाई बढ़ेगी और कई देशों की मुद्रा की कीमतें घट सकती हैं।
इण्डियन चैम्बर ऑफ बिज़नेस एण्ड कॉमर्स के सी.ई.ओ. नितिन पंगोत्रा का कहना है कि भारत की अर्थव्यव्था पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। अर्थशास्त्री एस.के. सुरेश का कहना है कि अगर वैश्वविक स्तर पर अर्थव्यवस्था में उथल पुथल होती है तो भारत पर उसका कितना असर होगा कहना मुश्किल है, लेकिन सरकार और आर.बी.आई. दोनों को चौकन्ना रहना होगा।