उत्तरप्रदेश की अर्थव्यवस्था- वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी.) 16 लाख 45 हज़ार 317 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2021-22 में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 19 लाख 74 हज़ार 532 करोड़ रुपये हो गया। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए तैयार अग्रिम अनुमानों के आधार पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद 21 लाख 91 हज़ार करोड़ रुपये पहुंचा है।
- 022-23 के अग्रिम अनुमानों के आधार पर हुआ आकलन
- 2020-21 से लेकर 2021-22 में 20 प्रतिशत बढ़ा जीएसडीपी
- सी.एम.- “बुंदेलखंड और पूर्वांचल में विकास की अपार संभावनाओं को हमें टटोलना होगा”
- लखनऊ- अर्थव्यवस्था को गति देने के राज्य सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं। कोरोना महामारी की तगड़ी चोट से उबरे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर का आकार देने की कोशिशों के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इन्वेस्टर्स समिट के जरिये निवेश की बूस्टर डोज पाने वाली उप्र की अर्थव्यवसथा को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना का साथ भी खूब भाया है। सरकार के सुनियोजित प्रयासों के फलस्वरूप राज्य की अर्थव्यवस्था ने लंबी छलांग लगाई है।
उप्र का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी)- वित्तीय वर्ष 2020-21 में उप्र का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 16,45,317 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2021-22 में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 19,74,532 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए तैयार अग्रिम अनुमानों के आधार पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद 21.91 लाख करोड़ रुपये पहुंचा है। जीएसडीपी किसी राज्य में एक निश्चित समयावधि में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को प्रदर्शित करता है जो कि वस्तुत: राज्य की अर्थव्यवस्था के आकार को दर्शाता है।-
सरकारी आवास पर नियोजन विभाग के कामकाज की समीक्षा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर नियोजन विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए अर्थव्यवस्था को गति देने के प्रयासों को जारी रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाओं को हमें टटोलना होगा। विश्वविद्यालयों/तकनीकी संस्थाओं को इस कार्य से जोड़ना होगा। इन क्षेत्रों में कहां, कौन से सेक्टर में प्रयास की आवश्यकता है, किस प्रकार की सहायता दी जानी चाहिए, विश्वविद्यालयों व तकनीकी संस्थाओं के माध्यम से इसका गहन अध्ययन कराया जाए। यह अध्ययन रिपोर्ट नियोजन विभाग में संकलित हों और उपयोगिता के अनुसार उन्हें कार्ययोजना में शामिल किया जाए। बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्र के विकास के लिए आवंटित निधि का उपयोग बहुआयामी और दीर्घकालिक विकास को ध्यान में रखकर स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार किया जाए।
सभी चिन्हित जिलों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया- मुख्यमंत्री ने कहा कि आकांक्षात्मक जिला कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के सभी चिन्हित जिलों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। नीति आयोग के डैशबोर्ड चैम्पियंस आफ चेंज पर मई 2023 की सूचना के अनुसार समग्र रूप से देश के प्रथम 10 जिलों में उप्र के छह जिले शामिल हैं। बलरामपुर पहले, सिद्धार्थनगर दूसरे, सोनभद्र चौथे, चंदौली पांचवें, फतेहपुर आठवें तथा बहराइच नौवें स्थान पर हैं। स्वास्थ्य एवं पुष्टाहार के क्षेत्र में देश के प्रथम 10 जिलों में उप्र के पांच जिले आये हैं। इनमें बलरामपुर को तीसरा, सिद्धार्थनगर को चौथा, चंदौली को पांचवां, सोनभद्र को सातवां व श्रावस्ती को आठवां स्थान मिला है। शिक्षा के क्षेत्र में देश के प्रथम 10 जिलों में उप्र के पांच जिलों ने स्थान बनाया है। इनमें बलरामपुर पहले, सोनभद्र सातवें, श्रावस्ती आठवें, सिद्धार्थनगर नौवें और चित्रकूट दसवें स्थान पर हैं।
अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन प्राप्त- वित्तीय समावेशन व कौशल विकास क्षेत्र में देश के प्रथम 10 जिलों में सिद्धार्थनगर पांचवें और फतेहपुर दसवें स्थान पर है। कार्यक्रम में अच्छी रैंक प्राप्त होने पर नीति आयोग की ओर से प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों को अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन भी प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन स्तर से हर आकांक्षात्मक विकासखंड की निगरानी की जा रही है। मार्च 2022 से मार्च 2023 तक ओवरआल डेल्टा रैंकिंग में कुशीनगर जिले का विष्णुपुरा विकासखंड सर्वश्रेष्ठ रहा है।