नगराम- अंचलीखेड़ा में रहने वाली गीता के अनुसार 11 जुलाई को उनके पति परवेश अंचलीखेड़ा-करोरा मार्ग पर मरणासन्न हालत में मिले थे। जानकारी मिलने पर गीता ने उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया, पांच दिन बाद परवेश को होश आया तो उन्होंने बताया कि वो बेची गई ज़मीन के बाकी रुपए मांगने सुधीर सिंह उर्फ टइयां के पास गए थे, रुपए मांगने से सुधीर सिंह भड़क गया और पिता ओमप्रकाश, सर्वेश कुमार वर्मा और शेर खान के साथ मिलकर बुरी तरह पीटा फिर गर्दन पर पैर रखकर तोड़ने का प्रयास किया बेहोश होने पर उसे मरा हुआ समझ कर सड़क के किनारे फेंक दिया। इसपर गीता ने नगराम थाने पहुंचकर लिखित शिकायत देते हुए जांच की मांग की, लेकिन पुलिस ने बिना जांच किए परवेश के नशे में गिर कर चोटिल होने की बात कहकर जांच से इनकार कर दिया। इसके बाद गीता ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी गुहार लगाई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो गीता शिकायत लेकर सी.एम. आवास पर गईं लेकिन सी.एम. योगी नहीं मिले तब वो डिप्टी सी.एम. केशव प्रसाद मौर्य मिलीं डिप्टी सी.एम. ने पुलिस को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए जिसके बाद वो घायल पति को लेकर नगराम थाने पहुंचीं, याचिका देने के कुछ देर बाद ही परवेश की स्थिति बिगड़ने लगी, तुरंत उन्हें मोहनलाल गंज सी.एच.सी. ले जाया गया लेकिन उनकी मृत्यु हो गई।
परवेश के परिजनों का कहना है कि वो मेहनत मज़दूरी करके किसी तरह परिवार पाल रहा था। उसकी डेढ़ बिस्वा ज़मीन सुधीर सिंह ने अपने नाम करवा ली थी, बदले में दिए चेक बाउंस हो गए बार बार रुपए मांगने पर दबंगों ने उसे बुरी तरह पीटा जिससे उसकी मृत्यु हो गई। अब गीता के सामने बच्चों को पालने की चुनौती खड़ी हो गई है।
बहरहाल थाना प्रभारी हेमंत राघव का कहना है कि रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन इस पूरी घटना ने एक बार फिर से पुलिस का दोहरा चरित्र उजागर कर दिया है।