बाराबंकी में ज्योति मौर्या जैसा ही मामला
सामने आया है। यहां शादी के बाद तैयारी करके लेखपाल बनी महिला ने किसान पति पर
उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए तलाक की अर्जी दी। लेकिन पारिवारिक न्यायालय ने मामले
पर सुनवाई करते हुए पत्नी की तरफ से दाखिल तलाक के मुकदमे को आधारहीन बताते हुए
उसे खारिज कर दिया है।
दरअसल सतरिख के गलाहामऊ गांव के
रहने वाले अमरीश कुमार की शादी 20 फरवरी 2009 को जैदपुर के याकूतगंज गांव की रहने
वाली दीपिका के साथ हुई थी। शादी के बाद ससुराल में ही दीपिका ने अपनी स्नातक की
पढ़ाई पूरी की। दीपिका के पति के मुताबिक पढ़ने में रुचि देखते हुए उसने पत्नी को
एमए और बीएड कराया। इसके बाद प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग में
एडमिशन कराया। इस बीच आर्थिक दिक्कतों के कारण उसे अपना खेत भी बेचना पड़ा। साल
2018 में पत्नी का चयन लेखपाल के पद पर हो गया। कुछ महीने बाद वह अपनी 8 साल की
बेटी को लेकर मायके चली गई। इसके बाद साल 2018 में ही दीपिका ने पति से तलाक के लिए
कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। वहीं इस मामले में दीपिका ने बताया कि वह घर का काम
करने के साथ ही प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाकर घर का खर्च चलाती थी, लेकिन घरवाले
इससे संतुष्ट नहीं थे। वह आए दिन प्रताड़ित करते थे। इसी से तंग आकर वह मायके चली
गई और वहां से पढ़ लिखकर लेखपाल बन गई। ससुराल पक्ष से छुटकारा पाने के लिए उसने तलाक
का मुकदमा दाखिल किया था। लेकिन कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए पत्नी की तरफ
से दाखिल तलाक के मुकदमे को आधारहीन पाते हुए उसे खारिज कर दिया।