उत्तर प्रदेश में हर महीने खुफिया एजेंसियों के मुताबिक करीब 250 किलो सोना कोलकाता-मिर्जापुर-मुगलसराय रूट से आ रहा है। इसके साथ ही करीब 300 किलो सोना कई अन्य रास्तों से यूपी में पहुंच रहा है। इस खेल में सफेदपोश सर्राफा कारोबारियों की भूमिका सामने आई है। यूपी के करीब 76 कारोबारी जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। इनमें से सबसे ज्यादा कानपुर, लखनऊ और गाजियाबाद के रहने वाले हैं।
सोना तस्करी की जांच कर रही एजेंसियों के मुताबिक पहले सबसे ज्यादा तस्करी का सोना नेपाल के रास्ते आता था। अब इसका बड़ा हिस्सा चीन से म्यांमार में प्रवेश करता है। इसके बाद सोना भारत-म्यांमार सीमा से मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड के दुर्गम इलाकों से भारत पहुंचता है। जिसके बाद सड़क मार्ग से एक हिस्सा यूपी पहुंचता है। वहीं दूसरा हिस्सा,, तस्करी मार्ग दुबई से मुंबई और गुजरात के रास्ते यूपी आता है। पहले रूट को तस्कर सबसे ‘सेफ पैसेज’ मानते हैं। जहां से ट्रेन और सड़क दोनों मार्ग का इस्तेमाल होता है। इसी रूट से कारोबारियों के ‘ट्रैवलर’ कानपुर, लखनऊ और गाजियाबाद में 80 फीसदी सोना खपा रहे हैं। देश में सोने पर आयात शुल्क, सेस और जीएसटी आदि मिलाकर 17 फीसदी टैक्स है। एक किलो सोने की कीमत करीब 62 लाख रुपये है, जबकि इस पर टैक्स 10 लाख है। एक किलो सोने की तस्करी में तस्कर से व्यापारी तक सोना पहुंचाने वाले ‘ट्रैवलर’ और अन्य खर्च के बाद छह लाख रुपये की बचत हो रही है। कुछ दिन पहले राजस्व खुफिया महानिदेशालय (डीआरई) मुंबई की सूचना पर इंदौर से ‘जैन’ नाम के ट्रैवलर को पकड़ा गया था। उसने पूछताछ में उगला कि वह सोने की सप्लाई लखनऊ, कानपुर व गाजियाबाद में करता है। उसने कानपुर के चार, लखनऊ के तीन व गाजियाबाद के चार कारोबारियों के नाम बताए हैं।