कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलने की राह 33 साल बाद दिखना शुरू हुई है। जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की घटनाएं किसी से छिपी नहीं है। कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ अन्याय कश्मीर की वादियों में आज भी विदमान है। 33 साल बाद जम्मू कश्मीर कोर्ट के बाहर हुई रिटायर जज कश्मीरी पंडित नीलकंठ गंजू की हत्या की फ़ाइल फिर से खोली गई है। राज्य जांच एजेंसी (SIA) फिर से मामले की जांच कर रही है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जम्मू कश्मीर इकाई और कई प्रमुख कश्मीरी पंडितों ने इस फैसले का का स्वागत किया। प्रमुख कश्मीरी पंडितों ने कहा कि उनके समुदाय के डगमगा चुके विश्वास को बहाल करने के लिए खुले घावों पर मरहम लगाने की जरूरत है।
SIA कर रही हत्याकांड की जां
कश्मीरी पंडित नीलकंठ गंजू की हत्या की जांच कर रही SIA ने जम्मू कश्मीर और देश के आम लोगों से भी सूचनाएं मांगी हैं। लोगों से अपील की है कि जिनके पास भी घटना और उस वक्त की परिस्थितियों से जुड़ी जानकारी है वह आगे आकर जानकारी साझा करें। कश्मीरी पंडितों ने पिछले तीन दशकों में जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा बेगुनाह लोगों की हत्या के सभी मामलों को भी फिर से खोलने की मांग की है।
गुप्त रखी जाएगी पहचा
कश्मीरी पंडित नीलकंठ गंजू हत्याकांड की जांच कर रही SIA ने लोगों से अपील की है कि जो भी हत्याकांड से जुड़ी जानकारी देगा, उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। SIA ने इसके लिए नंबर और मेल आईडी भी जारी की है। इसके लिए 8899004976 और ईमेल आईडी sspsia-kmr@jkpolice.gov.in जारी की गई है।
मकबूल भट्ट को सुनाई थी फांफांसी
रिटायर्ड जज गंजू ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक और आतंकी मोहम्मद मकबूल भट्ट को 1960 के दशक में पुलिस अधिकारी अमर चंद की हत्या करने के आरोप में हत्या की सजा सुनायी थी। आतंकी मकबूल भट्ट 1984 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। इसके बाद नवंबर, 1989 में श्रीनगर में गंजू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी और वह उन प्रमुख कश्मीरी पंडितों में शामिल थे जिन्हें इस समुदाय के कुछ महीने बाद घाटी से सामूहिक पलायन से पहले निशाना बनाया गया था। इस हत्या की जमीदारी आतंकी यासीन मालिक ने ली थी।