हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। हिमाचल की एक मात्र हिल रेलवे कनेक्टिविटी पर भी खतरे में या गया है। भारी बारिश के कारण कालका-शिमला रेलवे ट्रैक के नीचे का कुछ हिस्सा तेज बहाव में बह गया है। UNESCO की ओर से वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया गया है। वहीं तेज बारिश से 120 साल पुराने इस रेल ट्रैक पर पहली बार रेल पटरियां हवा में लटक गईं हैं ।
हादसा इस ट्रैक पर शिमला-शोघी के बीच हुआ। यहाँ रेलवे लाइन के पास भारी लैंडस्लाइड होने से पटरियों का करीब 50 मीटर हिस्सा हवा में लटक गया। बारिश में ट्रैक के नीचे की जमीन तेज बाढ़ के बहाव में बह गई और ट्रैक हवा में झूलने लगा। कालका-शिमला रेलमार्ग पर कोटी, जाबली और सनवारा के पास रेलवे ट्रैक पर काफी मलबा भी जमा हो गया।
बता दें ब्रिटिश दौर में कालका से शिमला के बीच 96 किलोमीटर नैरो गेज रेल लाइन का काम 1903 में शुरू हुआ था। वर्ष 2008 में UNESCO ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया। यह रेल मार्ग देशी-विदेशी पर्यटकों का प्रिय मार्ग है। बनने के 120 साल बाद पहली बार रेल मार्ग पर इतना भारी लैंडस्लाइड हुआ और इतने दिनों तक रेल यातायात बंद करना पड़ा। इस रेल ट्रैक के इतिहास में कभी ऐसी दुर्घटना नहीं हुई।