मथुरा- पूरे देशभर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। कान्हा की जन्मस्थली मथुरा-वृंदावन में इसकी तैयारियां कुछ अलग ही तरह से की जा रही हैं। ब्रज के बने सुंदर वस्त्र अपने में कुछ अलग ही महत्व रखते हैं। यही कारण है कि 40 देशों में ये वस्त्र भेजे जाते हैं जिन्हें बड़े प्रेम से कान्हा को पहनाया जाता है। कन्हैया की इस ड्रेस की डिमांड मुख्य रूप से अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दुबई और ओमान से ज्यादातर आती हैं। दुकानदार पोस्ट और कोरियर से इन देशों में कान्हा के वस्त्र भेजते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, कान्हा की ड्रेस और सज्जा से जुड़े सामानों का करीब 500 करोड़ रुपए का कारोबार हो चुका है।
जन्माष्टमी पर कान्हा को नई पोशाक पहनाई जाती है, जो सिर्फ मथुरा में ही बनती है। इनकी कीमत 5 रुपए से 50 हजार तक है। मथुरा-वृंदावन में करीब 20 हजार लोग कान्हा के कपड़े तैयार करने के कारोबार से जुड़े हुए हैं। मथुरा में करीब 700-800 दुकानें हैं, जो कान्हा के वस्त्र बेचते हैं। 4 से 5 हजार परिवार इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। इनमें कारीगर, कच्चा सामान बेचने वाले और कारोबारी शामिल हैं। वैसे तो साल भर पोशाक तैयार की जाती हैं। मगर, जन्माष्टमी से 2 महीने पहले ज्यादा तेजी आ जाती है। इस बार जन्माष्टमी पर देश-दुनिया से करीब 20 लाख श्रद्धालुओं के मथुरा आने की संभावना है। ये श्रद्धालु मथुरा आकर कान्हा की पोशाक जरूर खरीदते हैं। वृंदावन में कान्हा की पोशाक के कारोबार से जुड़े जवाहर अग्रवाल ने बताया कि बूटी और रेशम स्टोन की पोशाक इस बार डिमांड में है। हैंड वर्क की डिमांड धीरे-धीरे कम हो रही है। बूटी वर्क की ड्रेस का रेट कम होता है। इसलिए, इसकी डिमांड बढ़ी है। इसके अलावा, सूरत पोशाक जिसमें मशीन का वर्क है, उसकी भी डिमांड है। वह बताते हैं कि मथुरा में इस बार कान्हा की ड्रेस का करीब 500 करोड़ से ज्यादा का व्यापार हुआ है।
कारोबारी कान्हा शर्मा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में विदेशों में भी अब वृंदावन में तैयार होने वाली पोशाक और मुकुट के अलावा श्रृंगार सामग्री की डिमांड बढ़ी है। जन्माष्टमी के चलते बड़ी संख्या में ऑर्डर मिले हैं। दिन रात कारीगरों से काम लिया जा रहा है। अभी भी जन्माष्टमी के लिए ऑर्डर आ रहे हैं। ये सभी काम हर हाल में जन्माष्टमी से कम से कम दो दिन पहले पूरा कर उन्हें सौंपने हैं।
कारोबारियों ने बताया कि यूके, रूस, जापान, जर्मनी और मैक्सिको से ऑर्डर आ रहे हैं। इसके अलावा, कतर के कई शहरों से भी ऑर्डर आए हैं। इन देशों के अलावा 40 से ज्यादा देशों से पोशाक और श्रृंगार के सामान के आर्डर हैं। समय सीमा के अंदर ही स्थानीय वस्त्र व्यवसायियों ने इन मांगों को पूरा कर उन देशों के लिए कोरियर भी कर दिए हैं। जिससे कि जन्माष्टमी के पूर्व ही कृष्ण भक्तों को ठाकुरजी की पोशाक और श्रृंगार का सामान मिल जाए और किसी तरह की कोई असुविधा न हो।