श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर के वैज्ञानिक सर्वे पर याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
मथुरा- श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है जबकि श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण ट्रस्ट की याचिका पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा था कि पहले इसकी स्वीकार्यता पर फैसला होगा, उसके बाद ही सर्वे की मांग पर विचार होगा। उल्लेखनीय है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट की ओर से दाखिल इस याचिका में ज्ञानवापी की तर्ज पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि के वैज्ञानिक सर्वे की मांग रखी गई थी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष आशुतोष पांडेय की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सार्थक चतुर्वेदी ने याचिका पेश की थी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संघांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस तरह के निर्माण को मस्जिद नहीं माना जा सकता। 1968 में हुआ समझौता दिखावा और धोखाधड़ी है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी जिनमें शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति जैसी उल्लेखनीय संस्थाएं शामिल हैं। संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल रहे हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष आशुतोष पांडे का दावा है कि उत्तरदाताओं ने मंदिर के स्तंभों और प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया है। जनरेटर का उपयोग किया है। जिससे दीवारों और स्तंभों को और अधिक नुकसान हुआ है। उन्होंने परिसर में होने वाली नमाज और अन्य गतिविधियों पर भी चिंता जताई है। याचिकाकर्ता ने संपत्ति पंजीकरण में विसंगतियों के बारे में भी चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि याचिकाकर्ता विवादित भूमि की पहचान, स्थान और माप की स्थानीय जांच की मांग करता है, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा किए गए दावों को प्रमाणित करने के लिए एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता का अनुरोध है कि ज्ञानवापी सर्वेक्षण की तरह इस स्थल का भी सर्वेक्षण हो जिससे इस स्थल के ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व का पता लग जायेगा। याचिकाकर्ता की याचिका में न केवल उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने की अनुमति मांगी गई है, बल्कि एस.एल.पी. में अंतरिम एकपक्षीय रोक लगाने का भी अनुरोध किया गया था।