वाराणसी में कांची कामकोटि पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य शंकर विजेंद्र सरस्वती महाराज ने मंगलवार को कहा कि अनेकों जगहों पर कई कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन काशी की पवित्रता, काशी की पुण्यभूमि में किया हुआ छोटा सा देवकार्य भी अनंत पूर्णता देता है। शंकराचार्य शिवाला चेतसिंह,, किला परिसर में आयोजित विश्व शांति महायज्ञ के प्रथम चरण की पूर्णाहुति पर उपस्थित लोगों के बीच ज्ञान रूपी वाणी से लोगों के जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास कर रहे थे।
अपने आशीर्वचन में शंकराचार्य ने अतिरूद्र महायज्ञ की विशेषता बतायी। उन्होंने कहा कि यह सभी अनुष्ठानों में सबसे बड़ा है। एकादश रूद्रों की पूजा 121 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा जपे गए मंत्र राष्ट्र ,विश्व, मानव कल्याण के लिए अनंत फल को प्रदान करने वाला है। पूरे देश से आए वैदिक विद्वानों से शंकराचार्य ने कहा कि आप में से कोई वेद का अध्यापक है, कोई अनुष्ठाता है, कोई शास्त्रज्ञ तो कोई ज्योतिर्विद है। अलग-अलग विषयों में श्रेष्ठ होने पर भी आपको भगवान विश्वेश्वर के अनुग्रह से मां गंगा के तट पर शिव की आराधना, गंगा स्नान, सत्संग का अवसर मिला है।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि पूरे देश में मंदिर व्यवस्थाओं को जहां-जहां सरकार संचालित कर रही है, यह काम सिर्फ हिन्दुओं के द्वारा होना चाहिए। यह हिन्दुओं का अधिकार है, इसके लिए देश के विभिन्न न्यायालयों में न्यायिक प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि आज मेरे परिवार की आस्था कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य परम्परा में पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है। मैं अपने पैतृक स्थान मदुरै के निकट गांव के घर को कांची कामकोटि पीठम की परम्पराओं के सरंक्षण के लिए समर्पित कर रहा हूं। इस अवसर पर शंकराचार्य शंकर विजेंद्र सरस्वती महाराज ने वीएस सुब्रह्मण्यम मणि की संकलित पुस्तक कांची पीठ वैभव का विमोचन किया। जम्मू कश्मीर में लिखित काश्मीर स्तवकम की प्रति भी सांसद डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी को दी गई।
कार्यक्रम में काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह, हथुआ स्टेट नरेश प्रियम प्रताप शाही, पत्नी पूनम शाही, महाराष्ट्र कांग्रेस के सदस्य अविनाश पांडेय भी मौजूद रहे। इसके पहले अतिथियों का स्वागत वीएस सुब्रह्मण्यम मणि ने किया।