Dog Bite: राजधानी लखनऊ में रोजाना 200 से ज्यादा लोगों को कुत्ते काट रहे हैं। एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए सरकारी अस्पतालों में आने वाले लोगों में से करीब 30 फीसदी बच्चे होते हैं। कुत्ते की लार में मौजूद रेबीज वायरस से हाइड्रोफोबिया भी हो सकता है। यह रेबीज वायरस लाइलाज होता है। इसकी वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है।
लखनऊ में लगे एक साल में रेबीज के इंजेक्शन
रेबीज का इंजेक्शन राजधानी के सरकारी अस्पतालों में अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 14348 लोगों को लगाए गए। इनमें ज्यादातर इंजेक्शन बलरामपुर अस्पताल में लगवाए गए। वहीं प्रतिदिन बलरामपुर अस्पताल में करीब 150 और बाकी अस्पतालों में कुल मिलाकर 50 इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इंजेक्शन लगवाने वाले लोग ज्यादातर पुराने लखनऊ इलाके के लोग होते हैं।
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रेबीज संक्रमण का इंजेक्शन 72 घंटे में लगवाएं
सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन निशुल्क है, जबकि निजी अस्पतालों में 350 से 500 रुपये तक फीस ली जाती है। केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिमांशु ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति को रेबीज संक्रमित जानवर ने काट ले, तो उसे 72 घंटे के भीतर वैक्सीन टीका लगवाना चाहिए। उस 72 घंटे बाद वैक्सीन या एआरवी का टीका लगवाने का कोई फायदा नहीं है।
रेबीज संक्रमण व्यक्ति के अंदर यह लक्षण
रेबीज वायरस से संक्रमण के बाद व्यक्ति का नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है। उससे बुखार, सिरदर्द, घबराहट, खाना-पानी निगलने में कठिनाई, लार निकलना, अनिद्रा के साथ पानी से डर लगने लगता है। जानवर के काटे हुए स्थान को 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटॉल से साफ करे। उसके बाद जितना जल्दी हो सके वैक्सीन का टीका लगवाएं।