मथुरा-वृंदावन बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर निर्माण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। कॉरिडोर निर्माण में होने वाले खर्च को लेकर सरकार तथा बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों के बीच विवाद को देखते हुए,, आगरा के व्यापारी प्रखर गर्ग ने अर्जी देकर कहा कि वो प्रोजेक्ट के निर्माण पर 510 करोड़ रुपये देने के लिए तैयार हैं।
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व्यापारी ने कहा है कि वह 100 करोड़ रुपये एक महीने में जमा कर देंगे। इस पर कोर्ट ने यूपी सरकार के अधिवक्ता ने पूछा कि आप मंदिर का पैसा चाहते ही क्यों हैं। क्या, सरकार के पास पैसे की कमी है। अगर सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है, तो सारे विवाद का हल हो गया, तब तो कोई विवाद ही नहीं बचा। इसके जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया कि लोक शांति और व्यवस्था के लिए सरकार ने प्रस्तावित योजना तैयार की है। मंदिर के पैसे से मंदिर की व्यवस्था बनाई जा रही है। इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
अनंत शर्मा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। सेवायतों की ओर से कहा गया कि सरकार मंदिर की सुविधा बढ़ाना चाहती है, इसपर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन, इस काम के लिए वो मंदिर के पैसे का इस्तेमाल करना चाहती है।
बता दें कि मंदिर का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा था। लेकिन, वर्तमान समय में सिविल अदालत में मुकदमा चल रहा है। इस सम्बंध में डिक्री भी है और सिविल जज की ओर से निगरानी की जा रही है। सेवायतों का कहना है कि सरकार कॉरिडोर बनाये, सुरक्षा व्यवस्था करे। लेकिन मंदिर के पैसों से नहीं बल्कि अपने पैसों से करे, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। मंदिर निजी ट्रस्ट है, जिसमें चढ़ावे का कुछ हिस्सा ट्रस्ट को और कुछ सेवायतों को जा रहा है। इससे कुछ परिवार पल रहे हैं। फिलहाल, कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की अगली तिथि तय की है।