पंजाब के मूल निवासी और भारतीय सेना में अग्निवीर (Agniveer) अमृतपाल सिंह के आकस्मिक निधन पर देश में राजनीती तेज़ी से हो रही थी। अमृतपल को सैन्य सम्मान न दिए जाने को लेकर देश भर में विपक्षी गठबंधन बड़े पैमाने पर राजनीति करने की जुगत में था। पर भारतीय सेना ने रविवार को स्पष्ट कर दिया है कि अग्निवीर (Agniveer) अमृतपाल सिंह ने आत्महत्या की थी, इसलिए सैन्य प्रोटोकाल के तहत उन्हें अंतिम संस्कार के समय सैन्य सम्मान नहीं दिया गया।
गौरतलब है कि पंजाब के कोटली कलां के रहने वाले अमृतपाल सिंह को लेकर पिछले दिनों में एक बहस खड़ी करने का प्रयास किया गया कि देश के पहले अग्निवीर (Agniveer) को उचित सम्मान नहीं दिया गया। कॉंग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी से लेकर मीडिया और सोशल मीडिया से लेकर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक तक ने यह प्रचारित करने का काम किया कि अमृतपाल सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई इसलिए नहीं दी गई कि वे सेना भर्ती की नई योजना अग्निवीर के तहत भर्ती हुए थे।
पंजाब सरकार देगी शहीद का दर्जा, दी 1 करोड़ की सहायता
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने अपनी तरफ से 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि घोषित करते हुए मृतक अग्निवीर (Agniveer) को शहीद का दर्जी देने की घोषणा की है। सेना से रविवार को साफ किया कि 10 जैक रिफ (जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंटी) में बतौर संतरी भर्ती हुए अमृतपाल सिंह ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसलिए उनके अंतिम संस्कार में सैन्य सम्मान नहीं दिया गया, क्योंकि खुद को पहुंचाई गई चोट से होने वाली मौत को शहीद का सम्मान नहीं दिया जाता है।
(Agniveer) अमृतपाल ने ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली – भारतीय सेना
भारतीय सेना ने बयान जारी कर इस बात को पुरजोर तरीके से कहा कि सेना सैनिकों के बीच इस आधार पर भेदभाव नहीं करती कि वे अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन से पहले या बाद में भर्ती हुए थे। (Agniveer) अमृतपाल सिंह की मौत के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए सेना के नगरोटा मुख्यालय की ओर से पहले भी कहा गया था कि संतरी अमृतपाल सिंह की मौत राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद की लगी गोली से हुई थी। इससे फैले भ्रम को दूर करते हुए सेना ने अपनी संवेदना जताते हुए फिर कहा है कि “यह परिवार और भारतीय सेना के लिए गंभीर क्षति है कि अग्निवीर (Agniveer) अमृतपाल सिंह ने संतरी ड्यूटी के दौरान खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।”
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गार्ड ऑफ ऑनर सेना में सबके लिए बराबर
भारतीय सेना ने अपने दशकों पुराने आदेशों का हवाला देते हुए इस बात को स्पष्ट किया कि “वर्तमान व्यवस्था के अनुरूप, चिकित्सीय-कानूनी प्रक्रियाओं के संचालन के बाद, पार्थिव देह को सेना की व्यवस्था के अन्तर्गत ही एक संरक्षक पार्टी के साथ अंतिम संस्कार के लिए उनके मूल स्थान पर ले जाया गया।” सेना ने यह भी साफ कर दिया है कि वह सशस्त्र बलों में शहीद होने वालों को मिलने लाभ और गार्ड ऑफ ऑनर के संबंध में अग्निपथ योजना (Agniveer) के कार्यान्वयन से पहले या बाद में शामिल हुए सैनिकों के बीच अंतर नहीं करते हैं।
आत्महत्या करने वाले सैनिक सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं
भारतीय सेना ने अपने दशकों पुराने आदेशों से कहते हुए स्पष्ट किया है कि ‘1967 के प्रचलित सेना आदेश के अनुसार आत्महत्या करने वाले सैनिक सैन्य अंत्येष्टि के हकदार नहीं हैं। स्पष्ट है कि यदि सेना की किसी भी कोर का कोई भी जवान दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है तो उसे शहीदों की तरह सैन्य सम्मान नहीं दिया जाता है। सेना का कहना है कि इस विषय पर बिना किसी भेदभाव के लगातार पालन किया जा रहा है।’
सेना नहीं करता खुलासा, लेकिन नकारात्मक वातावरण बनने के बाद देना पड़ा बयान
वहीं, भारतीय सेना में अग्निवीर (Agniveer) योजना के तहत भर्ती हुए अमृतपाल सिंह के अंतिम संस्कार का विषय चर्चा में आने के बाद और उससे उपजे नकारात्मक वातावरण के बाद सेना को सामने आकर यह बयान देना पड़ा है। सेना का कहना है वह आत्महत्या करने वाले सैनिकों के बारे में पूरा स्पष्टीकरण इसलिए नहीं देती क्योंकि इससे उसकी प्रतिष्ठा खराब होती है। हम दुःख की इस घड़ी में परिवार के सम्मान और प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए मौत के कारण को सार्वजनिक नहीं करते और गोपनीय ही रखते हैं।