राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि जीवन में व्यावहारिक सफलता परिश्रम और अध्ययन से प्राप्त हो सकती है, लेकिन सफलता की चिन्ता नहीं करते हुए ध्येयनिष्ठ और यश-अपयश का विचार किए बिना जीवन जीने वालों का ही जीवन सार्थक होता है।
भैय्याजी जोशी रविवार शाम को जयपुर के पाथेय भवन मालवीय नगर स्थित नारद सभागार में पाथेय कण के संरक्षक एवं वरिष्ठ प्रचारक माणकचन्द के सम्मान में आयोजित प्रेरणा समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में कठिनाइयों और बाधाओं से बिना रुके अथवा विचलित हुए सतत राष्ट्र एवं समाज निर्माण का कार्य करने वाले श्रेष्ठ व्यक्तित्वों का निर्माण संघ ने किया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वरूप यदि आज राष्ट्र निर्माण के महामार्ग का है तो इसमें सर्वाधिक योगदान उन कार्यकर्ताओं का है जिन्होंने इस पर तब चलना शुरू किया जब यह पगडंडी था। उन्होंने कहा कि माणकचन्द ऐसे ही समर्पित वरिष्ठ प्रचारक हैं जिन्होंने पाथेय कण की सफलता से स्वयं को जोड़कर अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
भैय्याजी जोशी ने राष्ट्रीय विचार से जुड़ी पत्रिकाओं के प्रसार के साथ-साथ इनके पाठक वर्ग के भी अधिकाधिक प्रसार पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पाथेय कण पत्रिका पूरी प्रखरता और दृढ़ता के साथ लोक जागरण का कार्य कर रही है।
माणकचन्द का इस अवसर पर माला पहना कर, शॉल एवं श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया गया। माणकचन्द ने कहा कि संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है। संघ कार्य को बढ़ावा देने में जागरण पत्रिकाओं का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि परिवारों में संस्कार निर्माण और सद् विचार के प्रसार के लिए सभी पाथेय कण पत्रिका को पढ़ें और दूसरों को भी इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने पाथेय कण के 35 वर्ष तक सम्पादक रहे कन्हैया लाल चतुर्वेदी सहित अन्य कार्यकर्ताओं के योगदान को याद किया।
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