वाराणसी के बलुआ थाने में 36 साल पहले हुए सिकरौरा कांड में सत्र अदालत से बरी किए गए पूर्वांचल के माफिया व पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह के पक्ष में पारित निचली अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सही ठहराया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने 4 दोषियों को आजीवन कारावास के साथ-साथ 75 हजार रुपए के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।
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हाईकोर्ट ने कहा कि जहां घटना को लेकर उपलब्ध साक्ष्यों से दो प्रकार के विचार पैदा हो रहे हों, उसमें से कोर्ट को वही विचार अपनाना चाहिए, जो आरोपी के पक्ष का हो। इसी के साथ ही हाईकोर्ट ने सभी 13 अभियुक्तों में से चार दोषियों पंचम सिंह, वकील सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, राकेश सिंह को उम्र कैद एवं 75 हजार रुपए के जुर्माने की सजा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने बृजेश सिंह व पांच अन्य अभियुक्तों को सत्र न्यायालय द्वारा बरी किए गए फैसले को सही करार दिया है।
हाईकोर्ट का कहना है कि सत्र न्यायालय के फैसले में कोई कमी नहीं है। निर्दोष करार दिए जाने वालों में रामदास उर्फ दीना सिंह, कन्हैया सिंह, नरेंद्र सिंह, विजय सिंह, मुसाफिर सिंह का नाम शामिल है। कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयान में विरोधाभास है, इसलिए इन्हें बरी किया जाता है। वहीं, चार लोगों के खिलाफ अपराध में लिप्त होने का पर्याप्त साक्ष्य है, इसलिए उनको बरी करने का सत्र न्यायालय का आदेश विधि संगत नहीं है।
ये आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति अजय भनोट की खंडपीठ ने शिकायतकर्ता हीरावती व राज्य सरकार की अपील में से कुछ को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सजा पाने वाले चार अभियुक्तों को टॉर्च की रोशनी में पहचान लिया गया था। शेष अभियुक्तों को अंधेरे की वजह से पहचाना नहीं जा सका था। इसके अलावा सजा पाने वालों की पहचान परेड के दौरान भी हुई थी।