उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा टनल का के बीच मलबा गिरने से कई श्रमिक अभी भी फसें हैं। दुनिया भर के विशेषज्ञ उन्हें सुरक्षी रेस्क्यू करने में दिन रात जुटें हैं। 6 इंच का पाइप डालकर मलबे के आर-पार खाना और आक्सिजन उनतक पहुंचाई जा रही है। वहीं मंगलवार को एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के जरिए पहली बार मजदूरों को देखा गया। सभी मजदूर सुरक्षित हैं और जल्द ही बाहर निकलने की उम्मीद लगाए हुए हैं। मजदूरों से अधिकारियों ने बात की।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने उत्तरकाशी में चल रहे रेस्क्यू अभियान पर कहा, “NDRF, ITBP, सेना के इंजीनियर, SDRF, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, BRO व भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियां जैसी विभिन्न एजेंसियां वहां काम कर रही हैं। यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण प्रयास है। 3-4 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ भी साइट पर आए हैं। उन्होंने कहा कि अंदर जहां मजदूर फंसे हुए हैं वहां पर्याप्त जगह है। राशन, दवा और अन्य जरूरी चीजें कंप्रेसर के जरिए मजदूर तक पहुंचाई जा रही है।”
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कवरेज को लेकर जारी की एडवाइजरी
वहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार को टेलीविजन चैनलों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा कि वे उत्तराखंड के सिल्क्यारा में चल रहे बचाव अभियान को सनसनीखेज बनाने से बचें। इसके साथ सुरंग स्थल के करीब जहां बचाव कार्य चल रहा है वहां से कोई लाइव पोस्ट एवं वीडियो न बनाएं, इससे बचाव कार्य में बाधा पड़ सकती है।
आईबी मिनिस्ट्री द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है कि दो किलोमीटर की सुरंग के हिस्से में फंसे श्रमिकों के साथ सरकार लगातार संपर्क बनाए हुए है और उनका मनोबल बनाए रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है। विभिन्न सरकारी एजेंसियां 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। सुरंग के आसपास चल रहा ऑपरेशन बेहद संवेदनशील स्थान है, जिसमें कई लोगों की जान बचाई जा रही है। टीवी चैनलों द्वारा संचालन से संबंधित वीडियो फुटेज और अन्य चित्रों का प्रसारण, विशेष रूप से कैमरों और अन्य उपकरणों को नजदीक रखने पर वे बचाव कार्य बाधित कर सकते हैं। वहीं टीवी चैनलों को सलाह दी है कि वे इस मामले पर रिपोर्टिंग करते समय विशेष रूप से सुर्खियों, वीडियो और छवियों को डालते समय सतर्कता और संवेदनशीलता बरतें। इस ऑपरेशन की संवेदनशीलता, परिवार के सदस्यों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और सामान्य रूप से दर्शकों की भावनाओं का भी ध्यान रखें।
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