राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने बुधवार को वृंदावन में आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लिया। संघ प्रमुख ने प्रेमानंद जी महाराज को माला पहनाई और उन्हें पीला अंगवस्त्र भेंट किया। इस दौरान उन्होंने प्रेमानंद जी महाराज से आध्यात्मिक चर्चा भी की। इनके बीच की चर्चा इतनी प्रेरक रही, कि लोग इस वीडियाे को सोशल मीडिया पर खूब शेयर कर रहे हैं।
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बुधवार की सुबह आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम पहुंचे संघ प्रमुख ने उनसे भेंट करते हुए कहा कि आपकी बातें वीडियो में सुनी थीं, तो लगा कि एक बार दर्शन कर लेना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, ‘चाह गई, चिंता मिटी’ मनवा बेपरवाह’ आप जैसे लोग कम देखने को मिलते हैं। इसके बाद अपने आशीर्वचन में प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि अपने लोगों का जन्म सिर्फ सेवा के लिए हुआ है। इसके दो पक्ष हैं। व्यवहारिकी और आध्यात्म की सेवा। यह दोनों सेवाएं अति अनिवार्य हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारत के लोगों को परम सुखी करना चाहते हैं, तो सिर्फ वस्तु और व्यवस्था से नहीं कर सकते हैं, उनका बौद्धिक स्तर सुधारना चाहिए। प्रेमानंद जी महाराज ने कहा आज हमारे समाज का बौद्धिक स्तर गिरता चला जा रहा है, यह बहुत चिंता का विषय है। हम सुविधाएं दे देंगे, विविध प्रकार की भोग सामग्रियां दे देंगे, पर उनके हृदय की जो मलीनता है, हिंसात्मक प्रवृत्ति है, जो अपवित्र बुद्धि है, ये जब तक ठीक नहीं होगी, तब तक चीजें नहीं बदलेंगी।
उन्होंने कहा कि हमारा देश धार्मिक देश है। यहां धर्म की प्रधानता है। इसी बात को लेकर बार-बार निवेदन करता हूं। हमारी नई पीढ़ी से ही हमारे राष्ट्र की रक्षा करने वाले प्रगट होते हैं। जो विद्यार्थीजन हैं, उसी में से कोई एमएलए बनेगा, कोई सांसद बनेगा, कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति बनेगा, हमलोग भी उसी में से हैं। उन्होंने शिक्षा की आधुनिक स्वरूप पर चिंता जताते हुए कहा कि उसके कारण व्यभिचार, व्यसन व हिंसा प्रवृत्ति वर्तमान पीढ़ी में बहुत देखने को मिल रही है। इससे हृदय में असंतोष होता है।
उन्होंने कहा कि हमें जितना राम जी प्रिय हैं, कृष्ण जी प्रिय हैं और उतना ही भारत देश हमारे लिए प्रिय है। जैसे रामभक्त, कृष्णभक्त, वैसे ही हमारे भारत का जन-जन आदरणीय व पूजनीय है।