अयोध्या में सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि परिसर के कुबेर टीले पर जटायु की कांस्य प्रतिमा को स्थापित किया गया। 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
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रामलला की धरती पर सोमवार को कुबेर टीले पर कांस्य से बनी जटायु की प्रतिमा को स्थापित किया गया। बता दें कि कुबेर टीले पर ही प्राचीन शिवमंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। टीले पर विराजमान शिवलिंग पर गोलार्द्ध मंदिर के रूप में भव्यता दी जा रही है। इस मंदिर के सामने ही जटायु की प्रतिमा भी स्थापित हो रही है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कोषाध्यक्ष गोविंद देवगिरी ने कहा कि राम मंदिर में प्रधानमंत्री सबसे पहले जटायु की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करेंगे, उसके बाद वे राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।
गोविंद देवगिरी ने बताया कि जटायु की प्रतिमा स्थापित किए जाने के पीछे का कारण ये है कि जिस प्रकार से त्रेताकाल में प्रभु श्रीराम और माता सीता के भक्ति भाव में जटायु ने अपने प्राणों का त्याग किया था। उसी तरह इस कलयुग में 500 वर्षों तक श्रीराम के भव्य मंदिर के लिए लाखों राम भक्तों ने अपना बलिदान दिया है। आज उन्हीं संघर्ष और बलिदानों की प्रतीक जटायु की प्रतिमा को स्थापित कराया गया है।
22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
मकर संक्रांति के दिन 15 जनवरी को सभी तैयारियां को परखा जाएगा। 16 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से चुने गए यजमान सरयू तट पर दशविध स्नान, विष्णु पूजन, पंचगव्य प्राशन और गोदान के साथ उन लोगों को भी श्रद्धांजलि देंगे, जिन्होंने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के दौरान अपना सर्वस्व बलिदान किया था।
17 जनवरी को अयोध्या में राम भक्तों का विहंगम सैलाब दिखाई देगा, क्योंकि इसी दिन कलश यात्रा के साथ नवनिर्मित रामलला की मूर्ति का नगर भ्रमण होगा। नगर भ्रमण के बाद प्राण प्रतिष्ठित होने वाली इस मूर्ति को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ले जाया जाएगा। रामलला की मूर्ति मंदिर में पहुंचने के बाद प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विधि विधान से शुभारंभ हो जाएगा।
18 जनवरी को सबसे पहले मंडप प्रवेश पूजन, वास्तु पूजन, वरुण पूजन, विघ्नहर्ता गणेश पूजन और मार्तिका पूजन के साथ रामलला की मूर्ति का जलाधिवास शुरू हो जाएगा।
19 जनवरी को राम मंदिर में खास विधि से अग्नि का प्रज्वलन होगा। राम मंदिर के लिए अग्नि का प्रज्वलन अरणीय मंथन के जरिए होगा। इसमें लकड़ी के घर्षण से अग्नि प्रकट होगी, जिस अग्नि को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की अग्नि जागृत करने में होगा। अग्नि प्रज्वलन करने के बाद सबसे पहले यज्ञवेदी में वैदिक विधि से हवन होगा। इसी के साथ प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान की शुरुआत हो जाएगी। इसी दिन नौ ग्रह की स्थापना भी होगी।
20 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को 81 कलशों में इकट्ठा किए गए अलग-अलग नदियों के जल से पवित्र किया जाएगा और वास्तु शांति अनुष्ठान के साथ रामलला की मूर्ति का अन्नाभिषेक होगाॉ।
21 जनवरी को यज्ञ विधि में विशेष पूजन और हवन के बीच रामलला का 125 कलशों से दिव्य स्नान होगा। इसी के बाद राम लला की मूर्ति का शय्याधिवास और फिर मूर्ति की स्थापना हो जाएगी।
22 जनवरी के दिन मध्यकाल में मृगशिरा नक्षत्र में प्राण प्रतिष्ठा की महापूजा होगी। इस खास पूजा की समाप्ति के बाद प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति पर अक्षत डालने के बाद महाआरती होगी, जिसमें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे, जो उस दिन प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के यजमान होंगे।