Lucknow News: राजधानी लखनऊ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने SGPGI के 28वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारे देश में चिकित्सा पेशे को सेवा भाव के रूप में देखा जाता है, जबकि विदेशों में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा आपका हॉस्पिटल मंदिर और मरीज भगवान का रूप है। यह सोचकर आप सभी को काम करना है। आपके कार्य से स्वस्थ समाज का निर्माण होगा और स्वस्थ समाज से समृद्ध भारत का निर्माण होगा।
उन्होंने डिग्री प्राप्त करने वाले 265 डॉक्टरो को संबोधित करते हुए कहा कि आपके सामने दो प्रमुख जिम्मेदारियां है। पहली जिम्मेदारी आपकी माता-पिता की अपेक्षा को पूरा करना। जबकि दूसरी जिम्मेदारी समाज में चिकित्सा पेशे को सेवा भाव के तौर पर स्थापित करना है। उन्होंने कहा हमारे यहां मरीज को नारायण माना जाता है, यही वजह है कि चिकित्सा पेशे को सेवा भाव के रूप में देखा जाता है। डा मनसुख मांडविया ने इस अवसर पर यह भी कहा कि आपकी सफलता में SGPGI के चिकित्सकों का बड़ा योगदान है।
ऐसे में आप सभी डॉक्टरों को अपने अध्यापकों को कभी भूलना नहीं चाहिए। आप दुनिया में कहीं भी रहे और कामयाबी हासिल करें, लेकिन अपने इस संस्थान के प्रति आप की भी जिम्मेदारी बनती है। डा. मनसुख मांडविया ने कहा कि अमीर और गरीब में कभी अंतर नहीं समझना चाहिए। हमें अमीर और गरीब के बीच की खाई को खत्म करना है। क्योंकि गरीब और मजदूर भी देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। हम जहां भी रहें देश के प्रति समर्पित रहें, इस देश में ब्रेन और पावर दोनों मौजूद है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा आज पूरी दुनिया में चरक, सुश्रुत और धन्वंतरि की मूर्तियां लगाई जा रही हैं। विश्व की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में भी धन्वंतरि की फोटो लगाई गई है। ऐसे में हमें अपने इतिहास और पूर्वजों पर गर्व होना चाहिए।
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