नई दिल्ली- आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राजनीति के शिखर पुरुष ‘भारत रत्न’ स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती है। इस अवसर पर उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पर प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सदैव अटल’ पहुंचकर दिवंगत नेता को नमन करते हुए श्रद्धांजलि दी।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी ‘सदैव अटल’ पहुंचे और उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर दिवंगत नेता वाजपेयी का पुण्य स्मरण किया। उन्होंने लिखा-‘पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी जयंती पर देश के सभी परिवारजनों की ओर से मेरा कोटि-कोटि नमन। वे जीवनपर्यंत राष्ट्र निर्माण को गति देने में जुटे रहे। मां भारती के लिए उनका समर्पण और सेवा भाव अमृतकाल में भी प्रेरणास्रोत बना रहेगा।’
यह भी पढ़ें:- UP Police में कांस्टेबल के 60,000 से अधिक पदों पर निकली भर्तियां, 20 प्रतिशत महिलाओं को दिया गया आरक्षण
उल्लेखनीय है कि अटल जी तीन बार भारत के प्रधानमन्त्री रहे। सबसे पहले 16 मई 1996 को मात्र 13 दिन के लिए वो प्रधानमंत्री रहे, फिर 1998 में और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार एवं एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। वह चार दशकों तक भारतीय संसद के सदस्य रहे। अटल जी दस बार लोकसभा, और दो बार राज्य सभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ संसदीय क्षेत्र से भी चुनाव लड़ा और सदस्य निर्वाचित हुए।वर्ष 2009 में उन्होंने स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के कारण सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया।
अटल जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया और देश सेवा में जुटे रहे। स्वाधीनता आंदोलन में भी उनका सक्रिय योगदान रहा। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी व्यवधान के पूर्ण किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। वर्ष 2004 के आम चुनावों में उनके नेतृत्व वाले दल चुनाव हार गए जिसे अटल जी ने बड़ी सहजता से स्वीकार किया। अटल बिहारी वाजपेयी युवा राजनीतिज्ञों के लिए सदैव एक प्रेरणाश्रोत रहेंगे।
यह भी पढ़ें:- UP Police में कांस्टेबल के 60,000 से अधिक पदों पर निकली भर्तियां, 20 प्रतिशत महिलाओं को दिया गया आरक्षण
President.PM reached ‘Always Atal’, paid tribute