इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के जेवर तहसील के गांवों में रहने वाले किसानों की मर्जी के बगैर
उन्हें अपनी जमीन बेचने के लिए बाध्य नहीं करने का सरकार को निर्देश दिया है और कहा है कि
सरकार को जमीन की जरूरत हो तो वह नियमानुसार जमीन का अधिग्रहण कर सकती है। यह आदेश
कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता तथा जस्टिस मनोज कुमार निगम की बेंच ने
महेंदर सिंह व 98 अन्य किसानों की याचिका पर सुनवाई करते
हुए दिया है।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील प्रेम कुमार चौरसिया ने बहस करते हुए कहा
कि जेवर तहसील के 8 गांवों के किसानों को भूमिधरी खेती की जमीन नवीन ओखला औद्योगिक
विकास प्राधिकरण (NOIDA) द्वारा जबरन अपने पक्ष में बेचने के
लिए बाध्य किया जा रहा है। वहीं जवाब में प्राधिकरण के वकील एबी सिंघल ने कहा कि नोएडा अथॉरिटी ने किसानों को जनहित के कार्य के लिए अपनी भूमि विक्रय करने का प्रस्ताव दिया
है। मर्जी के खिलाफ किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है, जो
मुआवजा लेने के लिए तैयार होंगे उन्हीं की जमीन ली जाएगी। जिसके बाद कोर्ट ने किसानों
को बाध्य न करते हुए सरकार को जरूरत के हिसाब से नियमानुसार अधिग्रहण करने का निर्देश
दिया।
इस फार्मूले से किसानों को मिलेंगे 10% आबादी भूखंड
वहीं मंगलवार सुबह यूपी के ACS औद्योगिक विकास की अध्यक्षता में ग्रेटर नॉइड अथॉरिटी की बोर्ड बैठक हुई। जिसमें कई बड़े फ़ैसले लिए गए। अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक, विकास योजनाओं के लिए जमीन देने वाले किसानों को 10% आबादी भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। हालांकि, 10% आवासीय भूखंड केवल उन किसानों को मिलेंगे, जिन्हें अथॉरिटी ने 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा दिया है। आपको बता दें कि 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट की संवैधानिक बेंच के वर्ष 2011 में आए फ़ैसले के आधार पर दिया गया था। किसान लगातार 10% भूखंड आवंटन करने की मांग कर रहे थे। अथॉरिटी ने यह मामला राज्य सरकार को भेजा था। सरकार ने फ़ैसला लेने के लिए अथॉरिटी के बोर्ड को स्वतंत्रता दी थी।
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