Varanasi News: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने बड़ी सफलता हासिल की है। विभाग के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. राघवेन्द्र सिंह, डॉ. आरएन खरवार एवं उनकी टीम ने रस्ट फंगस (जंग कवक) के एक नई फैमिली निसोप्सोरेसी की खोज की है। शोधकर्ताओं की टीम में संजय यादव, सौम्यदीप राजवर, संजीत कुमार वर्मा, गार्गी सिंह, डॉ. शैलेंद्र गुप्ता एवं केरला वन अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शंम्भू कुमार शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने उत्तराखंड के चमोली जनपद से दिसंबर 2018 में टूना साइनेंसिस की जीवित पत्तियों पर खोजी गई जंग कवक निसोप्सोरा टूना की एक नई प्रजाति का वर्णन और चित्रण किया है। इसमें कोशिकाओं की एक विस्तृत शृंखला और विविध टेलियोस्पोर आकार पाया गया। रस्ट फंगस की किसी अन्य प्रजाति में ऐसी विशेषताएं रिपोर्ट नहीं की गई हैं।
आणविक डेटा पर आधारित फ़ाइलोजेनेटिक विश्लेषण में एवं रूपात्मक अंतर के आधार पर सभी निसोप्सोरा को एक साथ क्लस्टर किया गया। एक अलग एवं स्वतंत्र मोनोफ़ाइलेटिक वंशावली को समायोजित करने के लिए नया परिवार निसोप्सोरेसी स्थापित किया गया है। निसोप्सोरा की सभी वैध रूप से स्वीकृत प्रजातियों की रूपात्मक विशेषताओं और भौगोलिक वितरण की तुलना भी की गई है।
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यह शोध कार्य प्लांट पैथोलॉजी बीएंडआर इंटरनेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी कोऑपरेशन बेस, कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, गुइझोउ यूनिवर्सिटी, पीआर चीन की ओर से मशरूम रिसर्च फाउंडेशन द्वारा जर्नल ऑफ फंगल बायोलॉजी में 26 दिसंबर 2023 को प्रकाशित हुआ है। जंग कवक विश्व स्तर पर 7000 से अधिक प्रजातियों वाला एक मोनोफिलेटिक समूह है।
उल्लेखनीय है कि, जंग कवक या रस्ट फंगस पौधों में होने वाला एक फंगल रोग है। जो प्यूकिनिलेस कवक के कारण होता है। यह रोग पौधे पर नमी और पानी का स्तर अधिक होने के कारण फैलता है। रस्ट फंगस रोग से संक्रमित पौधे की पत्तियों पर जंग के समान लाल, सुनहरे रंग की परत दिखाई देती है। साथ ही नमी का स्तर अधिक होने के कारण इस रोग का संक्रमण और भी अधिक फैलता जाता है।
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