बाराबंकी- उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थल लोधेश्वर महादेवा धाम में नववर्ष-2024 के पहले दिन हज़ारों श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य महादेव के दर्शन किए। श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ की संभावना स्थानीय प्रशासन को भी नहीं थी। नव वर्ष का प्रथम दिन सोमवार को पड़ने की वजह से लोधेश्वर महादेवा में श्रद्धालुओं का तांता लग गया। मेले की तरह जगह-जगह दुकानें भी सजी थीं। प्रथम प्रहर में ब्रह्म मुहूर्त में लोग दर्शन पूजन का लाभ लेना चाहते थे, सवेरे पांच बजे ही तीन किलोमीटर लंबी लाइन लग गई थी जो इस बात की गवाही दे रही थी कि आस्था के सामने भीषण सर्दी भी कोई मायने नहीं रखती।
हर हर महादेव की जयकारे और घंटा घड़ियालों के उद्घोष से पूरा महादेवा परिसर गुंजायमान रहा। भक्तों की भारी भीड़ को देखकर थाना प्रभारी रामनगर ने पुलिस अधीक्षक से बात कर कर अगल-बगल थानों की फोर्स व एक प्लाटून पीएसी भी बुला ली थी।महादेवा आने जाने वाले रास्ते चारों ओर से बंद कर दिए गए थे। उपजिलाधिकारी नागेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा संबंधी सारे इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। कहीं भी किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है। दूसरी जगहों की फोर्स बुला ली गई है। पीएसी जवान भी तैनात किये गए हैं। मंदिर पुजारी आदित्य तिवारी ने बताया भीड़ देखकर लग रहा है कि देर रात तक यह सिलसिला जारी रहेगा।
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उल्लेखनीय है कि बाराबंकी शहर से 30 किलोमीटर दूर गोंडा रोड पर स्थित महादेवा धाम महाभारत कालीन मंदिर है। बताया जाता है कि इस लोधेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी। फाल्गुन मास में यहां एक विशेष मेले का आयोजन किया जाता है। देश भर से यहां लाखों श्रद्धालु यहाँ कांवड़ लेकर आते हैं और पवित्र शिवलिंग पर जल चढाते हैं। माना जाता है की वेद व्यास मुनि की प्रेरणा से पांडवो ने रूद्र महायज्ञ का आयोजन किया और तत्कालीन गंडक इस समय घाघरा नदी के किनारे कुल्छात्तर नमक जगह पर इस यज्ञ का आयोजन किया। महादेवा से 2 किलोमीटर उत्तर की ओर, नदी के पास आज भी कुल्छात्तर में यज्ञ कुंड के प्राचीन अवशेष पाए जाते हैं।
Crowd gathered at Lodheshwar Mahadeva