Uttar Pradesh:- गाजियाबाद। नगर निगम सदन की बैठक में
गाजियाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। गाजियाबाद के स्थान पर शहर का नाम हरनंदी नगर, गजप्रस्थ
और दूधेश्वरनाथ नगर में से एक होगा। यह प्रस्ताव शासन को
भेजा जाएगा। जिस पर सीएम
योगी आखिरी निर्णय लेंगे। हालांकि नगर निगम की बैठक काफी हंगामेदार रही, विपक्षी सदस्यों ने जमकर बवाल किया।
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गाजियाबाद की महापौर सुनीता दयाल की अध्यक्षता में मंगलवार
की सुबह 11 बजे नगर
निगम सदन में बैठक की गई। कई घंटों तक चली इस बैठक में पूरक बजट को हरी झंडी दे दी
गई। वहीं, गाजियाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव को भी पास कर
दिया गया है। अब यह प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा और शासन की अनुमति के बाद
गाजियाबाद का नाम बदला जाएगा। गाजियाबाद नगर निगम सदन की बैठक में इस बात पर भी
चर्चा की गई, कि जिन मलिन बस्तियों में पहली बार टैक्स तय किया जा रहा है, उनसे केवल दो साल की अवधि का टैक्स वसूल किया जाएगा। इस
दौरान नगर निगम की पॉश कॉलोनियों के कम्युनिटी सेंटर जीडीए की तर्ज पर, निजी हाथों
में दिए जाने के प्रस्ताव को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। पार्षदों के बीच नोंकझोक भी
हुई। कुछ पार्षदों ने कहा कि जीडीए के द्वारा ज्यादातर कम्युनिटी सेंटर निजी हाथों
में दिए जाने के बाद पूरे शहर में प्राधिकरण के खिलाफ माहौल है। हालांकि नगर
आयुक्त विक्रमादित्य मालिक ने कहा कि निगम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ जरूरी कदम
उठाने होंगे।
निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा
ने कहा कि निगम के द्वारा तरणताल भी लीज पर दिए गए, लेकिन उनसे क्या आय हासिल हो रही है, यह स्पष्ट किया
जाए। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि अधिकारियों के द्वारा दावा
किया जा है, कि निगम की आय में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन वार्डों में, प्रस्तावित 30-30 लाख की राशि के
काम नहीं हो रहे हैं। भाजपा पार्षद
सचिन डागर का कहना था, कि दुर्भाग्य पूर्ण स्थिति यह है कि निगम में काम नहीं हो
रहे हैं, पार्षद पीड़ित
हैं। उनका तर्क था कि एजेंडे पर बाद में चर्चा हो। बैठक के दौरान उस समय हंगामेदार स्थिति पैदा हो गई, जब नगर प्रशासन द्वारा तमाम पार्षदों के आगे से माइक
हटवा दिए गए। सचिन डागर का तर्क था कि फिर बैठक बुलाने का औचित्य ही क्या है।
हालांकि नगर आयुक्त का तर्क था कि सदन चलाने के लिए व्यवस्था बनानी होगी।