रायबरेली।
22 जनवरी को अयोध्या में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। रामभक्तों के
लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। श्रीराम मंदिर आंदोलन में रामभक्तों ने काफी
संघर्ष किया, प्रताड़ना झेली, जेल गए और पुलिस की लाठी व गोली का शिकार भी हुए। मंदिर
आंदोलन के इस मार्ग पर आमजन के साथ-साथ साधु-संतों ने भी अहम योगदान दिया है।
आंदोलन की शुरुआत से ही कई संतों और धर्माचार्यों को जेल जाना पड़ा और यातनाएं सहनी
पड़ीं। अब इन सभी के लिए जीवन का सबसे शुभ दिन आ रहा है।
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रायबरेली में धार्मिक मठ डलमऊ के महामंडलेश्वर
स्वामी देवेंद्रानंद गिरि भी श्रीराम मंदिर आंदोलन में संघर्ष के शुरुआती दिनों से
काफी सक्रिय रहे। वे लोगों को आंदोलन से जोड़ने के लिए लगातार महत्वपूर्ण बैठकें
करते थे। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के प्रति साधु-संतों को जागरुक करने के लिए कई
यात्राएं भी कीं। वर्ष 1990 में स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने कारसेवा
के लिए एक बड़े जत्थे का नेतृत्व किया, लेकिन
पुलिस ने उन्हें अयोध्या के रास्ते में ही गिरफ्तार कर लिया और उनको गोरखपुर जेल
भेज दिया गया। वे जेल में 18 दिनों तक रहे। आज जब प्रभु श्रीराम का
भव्य मंदिर बन रहा है, तो वह अत्यधिक भावुक हैं और अपने को
धन्य मान रहे हैं, कि रामकाज में उनका भी योगदान रहा है।
स्वामी देवेंद्रानंद गिरी कहते हैं कि 22 जनवरी 2024 का दिन उनके लिए सबसे शुभ और कभी न भूलने
वाला होगा, क्योंकि वे अपने जीवन में प्रभु श्रीराम का मंदिर और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा होती
देख रहे हैं। इन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में जब मंदिर बनने की
शुरुआत हुई थी, तब वे डलमऊ से पतित पावनी गंगा का जल और पौराणिक मान्यता वाले
धर्मस्थलों की माटी लेकर अयोध्या पहुंचे थे।