हमीरपुर: वर्ष 1990 में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। देश के हर कोने से राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे थे। इसी क्रम में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से एक बस में सवार होकर 70 कारसेवक अयोध्या जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तमिलनाडु से आए कारसेवकों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की सूचना, जब हमीरपुर के राम भक्तों को मिली, तो जिले भर में विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हो गए।
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प्रदर्शनकारी राम भक्तों ने बाजार बंद करने की घोषणा कर दी। उस दौरान आंदोलन में शामिल राम भक्त जमुनादास गुप्ता बताते हैं कि आंदोलनकारी राम भक्त सुमेरपुर कस्बे का बाजार बंद करा रहे थे। बाजार बंद कराते समय उनकी एक दारोगा से झड़प हो गई। इस पर दारोगा ने राम भक्तों को हिरासत में ले लिया और सभी का शांति भंग में चालान कर दिया। चालान होने की सूचना पाकर सुमेरपुर के पूर्व चेयरमैन सतीशचंद्र अवस्थी, समाजसेवी बेनीबाबू के साथ एसडीएम सदर की कोर्ट में जमानत के लिए पहुंचे।
एसडीएम की कोर्ट में बहस के दौरान तीन राम भक्तों ने ‘जय श्री राम’ का नारा लगा दिया। इससे तत्कालीन एसडीएम नाराज हो गए और तीनों को 40 दिन की सजा सुना दी। तीनों लोगों को हमीरपुर एवं बांदा की जेल में रहकर सजा काटनी पड़ी। कारसेवक रहे रामभक्त जमुनादास गुप्ता बताते हैं कि अब राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। लेकिन, राम मंदिर देखने के लिए पूर्व चेयरमैन सतीश चंद्र अवस्थी व बेनीबाबू इस दुनिया में नहीं हैं।