कुशीनगर: योगी सरकार बुद्धकालीन हिरण्यवती नदी के किनारे 22 करोड़ की लागत से रीवर फ्रंट डेवलपमेंट की योजना बना रही है। जिससे नदी तट पर बौद्ध तीर्थयात्री व्यवस्थित रूप से पूजन, मंत्रोच्चार, आचमन, ध्यान–विपश्यना, योग, व्यायाम आदि कर सकेंगे।
दूसरी तरफ सामान्य पर्यटकों को पार्क, कैफेटेरिया, प्रसाधन, पार्किंग की सुविधा मिलेगी। साथ ही नदी तट पर प्रत्येक एक सौ मीटर पर बनने वाले ‘गजीबो’ के निर्माण में बौद्ध स्थापत्य कला की उत्कृष्ट झलक देखने को मिलेगी। घाट, सीढ़िया, उद्यान, पाथ-वे और लैंडस्केपिंग पर्यटकों का मनमोह लेने वाली होगी।
इस योजना से नदी साल भर जल से लबालब रहेगी। जिससे पर्यटक मोटरबोटिंग, पैडलबोटिंग, स्विमिंग, डाइविंग आदि का लुत्फ उठा सकेंगे। रात में हिरण्यवती नदी भव्य स्वरूप में दिखे, इसके लिए नियॉन और फसाड लाइटिंग, विक्टोरियन लाइट, हाईमास्ट कसाडा कुशीनगर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण लगाएगा।
बौद्धस्थली पर टूरिस्ट डेस्टिनेशन की संख्या बढ़ाने के क्रम में प्रशासन ने यह योजना तैयार कर शासन को प्रस्ताव भेजा है। गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली होने के कारण चीन, जापान, कोरिया, श्रीलंका, थाइलैंड, ताइवान, वियतनाम आदि बौद्ध देशों के पर्यटक कुशीनगर आते हैं। किंतु पूजन करने के बाद वह कुछ देक रूक कर वापस चले जाते हैं। उन पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस योजना की लांचिंग होने जा रही है।
क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी गोरखपुर रविंद्र कुमार ने बताया कि योजना स्वीकृति की प्रक्रिया में है। औपचारिकता में समय लग रहा है। इस वित्तीय वर्ष के पूर्व बजट मिल जाएगा। यह योजना पर्यटन विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
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नदी से जुड़ी है बौद्धों की आस्था
निर्वाण पूर्व बुद्ध ने अंतिम बार हिरण्यवती नदी तट से जल ग्रहण किया था। इस नाते देशी विदेशी बौद्ध अनुयाइयों में इस नदी का बहुत महत्व है। सैलानी नदी के जल से आचमन करते हैं।