अयोध्या: भगवान राम की पावन जन्मस्थली अयोध्या हिन्दू धर्मावलम्बियों के आस्था का प्रमुख केंद्र है। यही वजह है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आतिथ्य सत्कार का आदर्श प्रस्तुत करती, भव्य-नव्य अयोध्या त्रेतायुग की थीम पर सज-धजकर तैयार है। आइए आपको बताते हैं कि त्रेतायुग में कैसी थी प्रभु श्रीराम की अयोध्या।
शास्त्रों में चार युग का वर्णन है सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग। सतयुग की समाप्ति के बाद दूसरे युग यानी त्रेतायुग आरंभ हुआ। त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष का था। इस युग में धर्म और कर्म का पालन किया जाता था। त्रेतायुग में अधर्म का नाश करने के लिए भगवान विष्णु तीन अवतार लिए थे, वामन अवतार, परशुराम अवतार और श्रीराम अवतार। त्रेतायुग में श्रीराम अपने भव्य महल में माता सीता और पूरे परिवार साथ रहते थे।
रामायण काल व त्रेतायुग की झलक
श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन कलयुग की अयोध्या में त्रेतायुग की झलक दिखेगी। यहां भव्य श्रीराम मंदिर, दीवारों और स्तंभों पर उकेरे गए दुर्लभ चित्र, आकर्षक स्वागत द्वार और दिव्य सजावट देख कर लोगों को रामायण काल की याद आएगी।
जगमगा उठी अयोध्या
श्रीराम के स्वागत के लिए अयोध्या दुल्हन की तरह सज-धजकर तैयार है। अयोध्या के चौक-चौराहे से लेकर मठ-मंदिर, सड़क सब रंग-बिरंगी आकर्षक लाइटों से जगमगा हैं। सड़कों के किनारे लगे सूर्य स्तंभ भगवान राम के सूर्यवंशी होने की कहानी को बयां कर रहे हैं। महायज्ञ के लिए 1008 कुंड बनाए गए हैं।
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अयोध्या का कण-कण होगा राममय
रामलला की प्रतिष्ठा के दिन पूरी अयोध्या रामज्योति से प्रकाशमान होगी। ये यथार्थ वैसे ही होगा जब श्रीरामचंद्र 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अपनी नगरी लौटे थे। तब उनका स्वागत भव्यता के साथ किया गया था। नक्काशीदार सोने से जड़े राम मंदिर के दरवाजों पर चित्रित वैभव का प्रतीक गज, सुंदर विष्णु कमल, स्वागत मुद्रा में देवी प्रतिमाएं राममय वातावरण को और भक्तिमय बनाएंगी।