भारतवासियों के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन बहुत खास बन गया, क्योंकि इस दिन अयोध्या नगरी में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका साक्षी पूरा भारत देश बना। ये ऐतिहासिक पल इतिहास के पन्नों में मोटे अक्षरों में यादगार बनकर शामिल हो गया। ऐसा ही माहौल छत्तीसगढ़ में रामनामी समुदाय में देखने को मिला है, जहां लोगों के कण-कण में प्रभु श्री राम बसते हैं।
देश में आज चारों तरफ राम नाम छाया हुआ है। हर तरफ भक्तिमय माहौल देखने को मिल रहा है। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को देखने के लिए न जाने कहां-कहां से लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए, लेकिन एक ऐसा देश जिसे न तो राम मंदिर से कोई मतलब है और न ही मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा से, क्योंकि यहां के लोगों का मानना है कि राम भक्ति के लिए दिन या समय तय नहीं, वो इसलिए कि यहां के लोगों ने तो अपना पूरा जीवन ही श्री राम भगवान के नाम कर दिया है।
‘राम नाम’ के टैटू से रामनामी समुदाय से क्या है कनेक्शन
छत्तीसगढ़ के इस समुदाय को रामनामी नाम से जाना जाता है। ये परशुराम द्वारा स्थापित एक हिंदू संप्रदाय है, जो भगवान राम को अपना अराध्य मानकर उनकी पूजा-अर्चना करता है। इनकी पूजा बड़ी ही अनोखी है। श्री राम की भक्ति इनके अंदर ऐसी बसी है कि इन लोगों ने अपने पूरे शरीर पर ‘राम नाम’ का टैटू बनवा रखा है, भगवान से इनका ऐसा नाता है कि श्री राम की भक्ति उनका गुणगान ही नहीं, इनकी जिंदगी का खास मकसद है।
कब हुई थी इस समुदाय की स्थापना
बता दें कि इस समुदाय की स्थापना सन् 1870 में जांजगीर चाम्पा जिले के चारपारा गांव के सतनामी परशुराम जी ने किया था। उन्होंने ही पहली बार श्री राम नाम का गोदना गुदवाया था। इनके शरीर के हर हिस्से पर राम का नाम लिखा है। साथ ही तन पर रामनामी चादर लिए रहते हैं, सिर पर मोरपंख की पगड़ी और घुंघरू इन लोगों की ये एक बड़ी खास पहचान होती है।
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जानिए क्या है रामनामी समुदाय की जीवनशैली
रामनामी समुदाय के लोगों का घर मिट्टी या बांस से बने होते हैं, जिसकी वास्तुकला बेहद खास होती है। इनका जीवन बहुत ही साधारण तरीके से होता हैं। इस समुदाय के लोग मृत्यु होने के बाद से लाशों को जलाते नहीं, बल्कि इसे पंचतत्व में विलीन करते हैं। क्योंकि उनका मानना है कि वो “राम नाम” को जलते हुए नहीं देख सकते। इस समुदाय के लोग प्राकृतिक स्याही बनाने का काम करते हैं। अपनी बनाई हुई स्याही से ही राम नाम के जाप और पूजा-पाठ करते है। इस स्याही को तैयार करने के लिए लाल रंग के फूलों के पानियों का इस्तेमाल किया जाता है। स्याही को गाढ़ा रंग देने में काफी वक्त और मेहनत लगती है।